भारत के राष्ट्रपति, राम नाथ कोविंद ने बुधवार को सारनाथ, उत्तर प्रदेश में एक वीडियो संदेश के माध्यम से धर्मचक्र- प्रवर्तन-दिवस 2022 समारोह को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा लोकतंत्र बौद्ध आदर्शों और प्रतीकों से काफी प्रभावित रहा है। बौद्ध धर्म भारत की सबसे बड़ी आध्यात्मिक परंपराओं में से एक रहा है।
President #RamNathKovind addresses #DhammacakkaDay 2022 celebrations at Sarnath; Says Indian democracy has been deeply influenced by Buddhist ideals & symbol
He says, national emblem is taken from the Ashoka Pillar at Sarnath, which also has the Dharma Chakra engraved on it. pic.twitter.com/h7G3s7AMmx
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 13, 2022
राष्ट्रपति ने कहा- भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े कई पवित्र स्थल भारत में स्थित हैं। उन अनेक स्थानों में से चार मुख्य स्थान हैं- पहला बोधगया, जहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी; दूसरा सारनाथ, जहां उसने अपना पहला उपदेश दिया था; तीसरा श्रावस्ती जहां उन्होंने अधिकांश चतुर्मास बिताए और अधिकांश उपदेश दिए; और चौथा कुशीनगर, जहाँ उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
उन्होंने कहा कि, “भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद कई मठ, तीर्थ स्थान, उनकी शिक्षाओं से जुड़े विश्वविद्यालय स्थापित हुए जो ज्ञान के केंद्र रहे हैं। आज ये सभी स्थान बुद्ध-सर्किट का हिस्सा हैं जो भारत और विदेशों से तीर्थयात्रियों और धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा लोकतंत्र बौद्ध आदर्शों और प्रतीकों से काफी प्रभावित रहा है। राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ में अशोक स्तंभ से लिया गया है, जिस पर धर्म चक्र भी उकेरा गया है। लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पीछे “धर्म चक्र प्रवर्तनाय” सूत्र अंकित है। हमारे संविधान के मुख्य निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि हमारे संसदीय लोकतंत्र में प्राचीन बौद्ध संघों की कई प्रक्रियाओं को अपनाया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि, “भगवान बुद्ध के अनुसार शांति से बड़ा कोई आनंद नहीं है। भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में आंतरिक शांति पर जोर दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस अवसर पर इन शिक्षा को याद करने का उद्देश्य यह है कि सभी लोग भगवान बुद्ध की शिक्षा के सही अर्थ को समझें और सभी बुराइयों और असमानताओं को दूर करके विश्व को शांति और करुणा से परिपूर्ण बनाएं।”