चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट को लेकर चीन पाकिस्तान में करोड़ो डॉलर का निवेश कर रहा है। चीन का वास्तविक मकसद अपने व्यापारिक हितों की पूर्ति के लिए अन्य देशों की सीमाओं से एक ऐसा कॉरिडोर बनाना है जिससे चीन का आधिपत्य हो सके।
वहीं पाकिस्तान को लगता है कि चीन सच्चा दोस्त होने के नाते यहां पर निवेश कर रहा है इससे पाक की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी और लोगों को रोजगार मिलेगा। लेकिन हकीकत मे ऐसा कुछ भी नहीं है। 60 करोड़ डॉलर की इस परियोजना पर पाकिस्तान के कांग्रेस मार्क्सवादियों ने सवाल उठाए है। इन्होंने सीपीईसी प्रोजेक्ट को पाकिस्तानी नागरिकों के दुःख और शोषण का साधन माना है।
मार्क्सवादी लेखक एडम पाल ने कहा कि चीनी साम्राज्यवाद की इस प्रोजेक्ट ने भ्रष्ट षडयंत्र के जरिए पाकिस्तान पर अधिकार जमाने की कोशिश है। उन्होंने कहा है कि चीन से दीर्घावधि का कर्ज लेकर पाकिस्तान मजदूरों को लूट रहा है।
इस प्रोजेक्ट के लिए एजेंट लूट की सुविधा का आनंद उठा रहे है और खामियाजा मजदूरों को उठाना पड़ रहा है। अपने दो सहयोगियों के साथ एडम पाल ने पाकिस्तान में चल रही सीपीईसी योजना पर कहा कि अंतरराष्ट्रीय समाजवादा क्रांति ही पाकिस्तान में मजदूरों की स्थिति में सुधार कर सकती है। इसमे चीन व अमेरिका की साम्राज्यवाद कुछ भी नहीं कर सकता है।
आगे कहा कि सीपीईसी मे काम करने वाले चीनी व पाकिस्तानी श्रमिकों के बीच मजबूत एकता होने की आवश्यकता है। ताकि वे अपने-अपने शासकों के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके है। एडम ने सीपीईसी मे लगे मजदूरों की दयनीय स्थिति के बारे में बताया है।
एडम पाल ने “सीपीईसी-प्रगति या लूट” नामक एक पुस्तक भी लिखी है जो मार्क्सवादी दृष्टिकोण से सीपीईसी परियोजना से संबंधित मुद्दों को बताती है। गौरतलब है कि कई मानवाधिकार संगठनों ने सीपीईसी के जरिए बलूचिस्तान लोगों पर हो रहे अत्याचारों को उजागर किया है।