भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 9 फरवरी से 12 फरवरी तक फिलीस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात व ओमान की यात्रा पर है। आज पीएम मोदी फिलीस्तीन की यात्रा पर होंगे। दरअसल यह पहला मौका है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री फिलीस्तीन के दौरे पर रहेगा। नरेन्द्र मोदी जब से भारत के प्रधानमंत्री बने है उन्होंने कई देशों का सफल दौरा किया है। अब भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की नजर मध्य पूर्वी देशों पर है।
पीएम मोदी ने पिछले चार सालों में संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, इज़राइल और ईरान जैसे देशों की उच्च स्तरीय यात्रा की है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इन दिनों सऊदी अरब में ही है। जहां पर भारत को सम्मानित अतिथि का दर्जा दिया गया है। ईरानी राष्ट्रपतित हसन रूहानी के इस महीने भारत में आने की उम्मीद है।
एक महीने पहले ही इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भारत यात्रा पर आए थे। वहीं इस साल के अंत में सऊदी के राजा भारत के उच्च स्तरीय दौरे पर रहेंगे। भारत अब मुस्लिम देशों के लिए आकर्षक देश बन रहा है। भारत दुनिया के सभी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहा है।
मोदी सरकार की रणनीतिक विदेश नीति सफल
मध्य पूर्वी देशों में भारत की स्थिति मजबूत करने को ये मोदी सरकार की सक्रिय रणनीति है। चीन और रूस जैसे विशाल देश मध्य पूर्व में भारत की उपस्थिति को महसूस कर रही है। अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश मध्य पूर्वी देशों में अपनी उपस्थिति को दूर कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और जॉर्डन जैसे देश को अमेरिका प्राकृतिक गैस निर्यात कर रहा है।
भारत के लिए मध्य पूर्वी देश तेल के निर्यातक देश के रूप में काफी महत्वपूर्ण है। इन देशों से भारत कच्चे तेल का आयात करता है। भारत अपनी कच्चे तेल आपूर्ति के लगभग 65 प्रतिशत के लिए इस क्षेत्र पर निर्भर करता है।
मोदी सरकार के चार साल के कार्यक्रम में पीएम मोदी की संयुक्त अरब अमीरात में अपनी दूसरी यात्रा होगी। मोदी ओमान की यात्रा पर भी जाएंगे जो हिंद महासागर क्षेत्र का प्रमुख देश है। भारत का उद्देश्य उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग और टिकाऊ विकास को मजबूत करना है।
फिलीस्तीन की बात की जाए तो किसी भी भारतीय पीएम की यह पहली यात्रा होगी। साल 1988 में फिलीस्तीन को देश के रूप में मान्यता दिलाने में गैर अरब देशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण था। फिलीस्तीन की वजह से भारत ने अपने प्रमुख दोस्त अमेरिका व इजरायल की परवाह न करते हुए यरूशलम मुद्दे पर फिलीस्तीन का साथ दिया।
फिलीस्तीन के साथ नजदीकी बढ़ा रहा भारत
भारत व फिलीस्तीन के बीच में रिश्ते पहले सामान्य ही रहे है। लेकिन इजरायल व अमेरिका के साथ तो भारत का रिश्ता काफी महत्वपूर्ण है। यरूशलम मुद्दे पर फिलीस्तीन का समर्थन कर भारत ने इस देश को अपने पक्ष में करने की सार्थक कोशिश की है। अरब देश दुनिया में ही पूरी तरह से सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे है।
इजरायल दौरे पर जाने से पहले भारत का ध्यान अब सऊदी अरब, ईरान, कतर और ईरान जैसे क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने पर है। भारतीय मूल के करीब 7 लाख से ज्यादा प्रवासी अरब खाडी के देशों में काम करते है। फिलीस्तीन दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच में कृषि में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होगा।
मोदी फिलिस्तीनी राजनयिकों के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान का उद्घाटन करेंगे। फिलीस्तीन में भारत करीब 60 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। भारत अब विदेश नीति के तहत मध्य पूर्वी देशों पर अपनी पकड़ बना रहा है।