Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की महाविकास अगाड़ी (MVA) सरकार आज ‘वाकई’ में संकट में घिर गई है जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के भीतर का बिखराव सार्वजनिक हो गया।
शिवसेना के एक प्रमुख नेता एकनाथ शिंदे 30 से ज्यादा विधायकों के साथ गुजरात के सूरत के रास्ते गुवाहाटी पहुँच गए और बगावत के सुर सबके सामने रखे। इसके साथ भी महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट गहरा हो गया और सरकार खतरे में पड़ती दिख रही है।
दरअसल MVA की गठबंधन की सरकार पर संकट की खबर तब से ही राजनीतिक हलकों में चर्चा में रही है जब उसने शपथ भी नही ली थी।
याद करिये देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार का राज्यपाल के साथ वह तस्वीर जब पिछले चुनावों के बाद एक सुबह भारत की जनता आँख खोलती, उस से पहले ही फडणवीस को मुख्यमंत्री तथा अजित पवार को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिला दी गई थी।
तब कहा गया था कि NCP दो तिहाई विधायकों ने अजीत पवार के साथ मिलकर पार्टी से बगावत कर लिया है और BJP के साथ सरकार में शामिल होंगे।
लेकिन उस पूरे प्रकरण को NCP प्रमुख शरद पवार ने अपने राजनीतिक कौशल से “डैमेज कंट्रोल” कर के बागी विधायकों की घर वापसी करवाई थी। फिर जाकर NCP शिवसेना तथा कांग्रेस ने गठबंधन कर के MVA (Maharashtra Vikas Agadi) की सरकार बनाई।
इसके बाद भी पिछले ढाई साल की MVA सरकार के दौरान कभी किसी शहर के नामकरण को लेकर तो कभी एयरपोर्ट को लेकर… समय-समय पर यह खबर आती रही कि अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं है।
बीच-बीच मे बीजेपी कभी राममन्दिर को लेकर तो कभी हनुमान चालीसा विवाद को लेकर शिवसेना को हिंदुत्व के नाम पर लगातार राजनीतिक अखाड़ों में ललकारने का काम करती रही है।
कल बागी विधायकों के नेता और उद्धव ठाकरे के दाएं हाँथ रहे एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर के जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उस से जाहिर है कि बीजेपी का हिंदुत्व वाली ललकार के आगे ही शिंदे व उनके समर्थक बागी होने का खतरा मोल लिया है।
आम्ही बाळासाहेबांचे कट्टर शिवसैनिक आहोत… बाळासाहेबांनी आम्हाला हिंदुत्वाची शिकवण दिली आहे.. बाळासाहेबांचे विचार आणि धर्मवीर आनंद दिघे साहेबांची शिकवण यांच्याबाबत आम्ही सत्तेसाठी कधीही प्रतारणा केली नाही आणि करणार नाही
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 21, 2022
इस बार का राजनीतिक संकट शिवसेना के कारण है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को वही करना है जो शरद पवार ने किया था।
Resort Politics: “मुम्बई टू गुवाहाटी वाया सूरत”
कल सुबह से ही यह ख़बर धीरे धीरे कर के बाहर आने लगी थी कि MVA (Maha Vikas Agadi) सरकार में टूट हो सकती है और एकनाथ शिंदे कुछ 30 से अधिक विधायकों के साथ सरकार से बगावत कर के सूरत के एक होटल में हैं।
इसके बाद इनके मान-मनौव्वलल केे लिएए पार्टी के दो नेताओं को सूरत भेजा गया लेकिन बात नहीं बनी। एकनाथ शिंदे ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को यह संदेश भिजवाया कि वे हिंदुत्व के मुद्दे पर बगावत कर रहे हैं तथा शिवसेना को बीजेपी कब साथ सरकार बनानी चाहिए न कि वर्तमान गठबंधन की सरकार।
सुबह होते होते तस्वीरें व ख़बर आने लगी कि सभी बागी विधायकों को गुजरात पुलिस के भारी सुरक्षा के बीच चार्टर्ड प्लेन से असम की राजधानी गुवाहाटी ले जाया जा रहा है। गुवाहाटी पहुँच कर मीडिया से बातचीत में शिंदे ने यह कहा कि उन्होंने अपनी बात मुख्यमंत्री को बता दी है। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि 30 नहीं, बल्कि 40 से भी ज्यादा विधायक उनके संपर्क में है।
#WATCH | “A total of 40 Shiv Sena MLAs are present here. We will carry Balasaheb Thackeray’s Hindutva,” said Shiv Sena leader Eknath Shinde after arriving in Guwahati, Assam pic.twitter.com/YpSrGbJvdt
— ANI (@ANI) June 22, 2022
उधर मुम्बई में गहमा गहमी बढ़ने लगी और कल शाम होते-होते शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास “वर्षा” से सामान सहित अपने निजी आवास “मातोश्री” के लिए निकल गए और फेसबुक लाइव करते हुए उन्होंने एकनाथ शिंदे सहित सभी बागी विधायकों से अपील की कि आप लोग गुवाहाटी से आएं और हमसे अपनी शिकायत रखें। मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ दूंगा।
#WATCH | Luggage being moved out from Versha Bungalow of Maharashtra CM Uddhav Thackeray in Mumbai pic.twitter.com/CrEFz729s9
— ANI (@ANI) June 22, 2022
Maharashtra में भी “Operation Lotus” तो नहीं ?
जिस तरह से वस्तु-स्थिति बदली है और बागी विधायकों को पहले गुजरात बाद में असम- दोनों ही बीजेपी शाषित प्रदेशों में तमाम बड़ी सुख सुविधाओं के साथ रखा गया है, इस से विपक्ष द्वारा एक सुर में बीजेपी पर आरोप लगाया जा रहा है कि यह सब किया-धरा भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक दाव-पेंच है।
फिलहाल राजनीतिक बयानबाजी चल रही है और ऐसा लग रहा है कि लोकतंत्र के नैतिक मूल्यों के ख़िलाफ़ पूरा षड्यंत्र (Maharashtra Political Crisis) चल रहा है;उसके आधार पर यह अंदेशा जताई जा रही है कि कर्नाटक व मध्यप्रदेश के तर्ज पर महाराष्ट्र (Maharashtra) की चुनी हुई सरकार भी “ऑपेरशन लोटस” की शिकार हो गई है।
इन तमाम उठा पटक के बीच असल सवाल यही है कि क्या उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे को मुख्यमंत्री पद दे देने से बात बनेगी या फिर महाविकास अगाड़ी (MVA) की सरकार अपनी मियाद पूरी कर चुकी है?क्या बीजेपी पर लगाए जा रहे “ऑपेरशन लोटस” का आरोप सही है?
महाराष्ट्र की राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण यह भी है कि अब शिवसेना का बागडोर किसके हाँथ में होगा? क्योंकि अगर पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं तो जाहिर है, पार्टी और पार्टी के निशान दोनों ही उद्धव ठाकरे के हाँथ से निकल जायेगा।
ऐसे कई राजनीतिक सवाल सब के सामने हैं जिसका जवाब आगामी कुछ दिनों में सब के सामने आ जायेगा; लेकिन एक चुनी हुई सरकार का इस तरह से तख्तापलट हो जाना लोकतंत्र की आत्मा के लिए घातक है।