केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर शुक्रवार को रोक लगाने की घोषणा की है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है।
अधिसूचना में कहा गया है कि गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन देश की समग्र खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और पड़ोसी देशों और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है।
यह आगे कहा गया है कि अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकार के अनुरोध के आधार पर सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर भी निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कहा- कई कारणों से गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप भारत, पड़ोसी देश व अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में है।
अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय सरकार खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पिछले दिनों समाचार एजेंसी Reuters की एक रिपोर्ट में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि भारत गेहूं के निर्यात पर बैन लगाने के बारे में नहीं सोच रहा है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने तब कहा था, ‘गेहूं के निर्यात पर बैन लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है, क्योंकि देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार है।’
एक अलग अधिसूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय ने प्याज के बीज के लिए निर्यात शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की है। ‘प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल तथ्य के साथ प्रतिबंधित श्रेणी के तहत रखा गया है’। पहले प्याज के बीज के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी।
क्या है खाद्य सुरक्षा?
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार- खाद्य सुरक्षा तब उभरती है जब सभी लोगों के पास हर समय सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए अपनी आहार संबंधी जरूरतें और खाद्य प्राथमिकताें को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक भौतिक और आर्थिक पहुंच होती है। खाद्य सुरक्षा के तीन महत्वपूर्ण और निकट से संबंधित घटक हैं: भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच एवं भोजन का अवशोषण।
देश के प्रत्येक नागरिक को भोजन का अधिकार प्रदान करने के लिए भारत की संसद ने 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 कानून बनाया है।