मार्च के महीने में जब से 5 विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली है और 5 में से 4 राज्यों में बीजेपी सरकार बनाने में सफल हुई है, उसके बाद से देश की राजनीति में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। खासकर बीजेपी शाषित राज्यों से संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत यूनिफॉर्म सिविल कोड को बनाने से लेकर लागू करने की मांग लगातर उठने लगी है।
सबसे पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) की मांग
उत्तराखंड में चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में कहा गया था कि अगर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनती है तो पार्टी राज्य में UCC लागू करेगी। चुनाव परिणाम आये और बीजेपी जीती भी; चुनाव हारने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी पर ही विश्वास दिखाते हुए पार्टी ने सरकार का गठन किया।
इसके बाद पहले दिन से ही पुष्कर सिंह धामी UCC को लेकर सक्रिय हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार UCC को लेकर जल्दी ही एक हाई लेवल कमिटी बनाने जा रही है जो UCC के प्रावधानों का मसौदा तैयार करेगी और साथ ही राज्य में साम्प्रदायिक मेल जोल को किसी भी कीमत पर नुकसान पहुंचने नहीं दिया जाएगा।
Before elections, announcement of implementing a uniform civil code was made, we made a decision during cabinet meeting to form a committee that’ll create a draft taking advice from stakeholders. We’ll implement it as soon as the draft is made: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/6t7FBvE4x3
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 23, 2022
उत्तराखंड के बाद UP में भी उठी मांग
उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी UCC को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। प्रदेश की बीजेपी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी कहा है कि उनकी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
Everyone should demand and welcome Uniform Civil Code. Uttar Pradesh govt is also thinking in this direction. We’re in favour of it and it is necessary for UP and the people of the country. This is also one of the main promises of BJP: UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya in Lucknow pic.twitter.com/ry7SR2QzWR
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 23, 2022
समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने भी सत्ता कब सुर में सुर मिलाते हुए UCC लागू करने की मांग करते हुए कहा कि अगर इसके लिए धरना प्रदर्शन भी करना पड़ा तो वे तैयार हैं। हालांकि श्री शिवपाल यादव का यह बयान राजनीतिक दायरों में अपनी ही पार्टी के नेता और खुद के भतीजे अखिलेश यादव से मतभेद से जोड़कर देखा जा रहा है।
अन्य बीजेपी शाषित राज्यों से भी उठी मांग
उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के अलावे कई अन्य बीजेपी शाषित राज्यों से भी समान नागरिक संहिता (UCC) के बाबत चर्चा सामने आई है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने भी उत्तराखंड के इस कदम को सराहनीय बताते हुए कहा कि हम भी हिमाचल प्रदेश में UCC को लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं।
#WATCH | Delhi: We will not hurry in taking any decision on it. We will examine its outcomes and then make a decision: Himachal Pradesh CM Jairam Thakur on implementing the Uniform Civil Code in the state pic.twitter.com/tKCzashgVI
— ANI (@ANI) April 25, 2022
मध्य प्रदेश में बीजेपी नेता व राज्य सभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर एक कमिटी के निर्माण की मांग की है जो Uniform Civil Code (UCC) के लागू करने के के विभिन्न आयामों की समीक्षा करे।
महाराष्ट्र में भी हिंदुत्व के मुद्दे पर आक्रामक रहने वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी इसकी मांग की है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि लाउडस्पीकर Vs हनुमान चालीसा के मुद्दे पर बीजेपी और MNS एक दूसरे के साथ खड़े हैं।
क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)?
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का आशय सभी धर्मों व सम्प्रदाय के लिए एक कॉमन कानून बनाने की बात करता है जिसके तहत विवाह, तलाक़, पारिवारिक विरासत, गोद लेने इत्यादि से जुड़े मुद्दों पर सभी धर्मों और संप्रदायों के लिए एक समान प्रावधान हो।
आज भारत मे इन मुद्दों के लिए अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग “पर्सनल लॉ” काम करते हैं। जैसे एक हिन्दू नागरिक की शादी हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के अंतर्गत होती है वहीं मुसलमान नागरिक के लिए “मुस्लिम पर्सनल लॉ” है। ऐसी ही ईसाइयों, यहूदियों, पारसी आदि के लिए उनके अपने पर्सनल लॉ हैं।
यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) के अंतर्गत इन सभी पर्सनल लॉ को मिलाकर एक कॉमन कानून बनाने की बात है जो सभी धर्मों और संप्रदायों पर समान रूप से लागू होगा।
भी वर्तमान में सभी धर्मों और संप्रदाय के लिए क्रिमिनल कानून (CRPC 1973) एक समान है जबकि सभी धर्मों के अलग-अलग पर्सनल लॉ के कारण देश मे सिविल कानून सभी धर्मों और संप्रदाय के ऊपर एक समान रूप से लागू नहीं हो पाता।
संविधान देता है UCC लागू करने का अधिकार
भारत का संविधान में राज्यों के लिए नीति-निर्देशक तत्व (DPSP) के तहत अनुच्छेद 44 में “राज्य” (यहाँ “राज्य” से मतलब केंद्र सरकार है, किसी प्रान्त की सरकार नही) को यह निर्देश देता है कि वह उचित समय आने पर समान नागरिक संहिता को लागू करे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि अब देश मे समाजिक रूढ़िवादिता टूट रही हैं। ऐसे में अब समय आ गया है कि सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में आगे बढ़े।
फिर UCC को लेकर इतनी राजनीति क्यों?
दरअसल कश्मीर से धारा 370 हटाना, राम मंदिर का निर्माण आदि के साथ यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) लागू करना भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे का प्रमुख हिस्सा रहा है।
अब कश्मीर से धारा 370 हट चुका है, राम मन्दिर का निर्माण भी जोरों से चल रहा है ऐसे में एजेंडे में “यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)” बचा हुआ है। 2019 के आम- चुनाव के घोषणा पत्र में भी पार्टी ने इसका जिक्र किया था।
इसीलिए, अचानक से बीजेपी शाषित राज्यों द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) की मांग उठाये जाने के बाद यह अंदेशा लगाया जाने लगा है कि शायद यह 2024 आम चुनावों की तैयारी है। वरना कानून और संविधान की थोड़ी समझ वाला व्यक्ति भी यह जानता है कि राज्य अपने से UCC बनाकर लागू नहीं कर सकते, इसके लिए केंद्र की संसद को प्रस्ताव लाना होगा।
बीजेपी को सूट करता है यह UCC मुद्दा
बीजेपी कथित तौर पर हिंदूवादी विचारधारा की पार्टी रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किये जाने का विरोध मुस्लिम समुदाय द्वारा हमेशा से होता रहा है। उन्हें यह डर सताते रहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड के नाम पर हिन्दू कोड बिल जैसी चीज ना थोप दी जाए जिस से उनके पर्सनल लॉ खत्म हो जाएं।
इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे के जरिये संभवतः यह प्लेटफॉर्म तैयार किया का रहा है कि बीजेपी मुस्लिम समुदाय के इसी रवैये का आगामी 2024 आम चुनावों में राजनीतिक लाभ उठा सकती है।