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    Anurag Thakur & Pravesh varma

    दिल्ली दंगो से जुड़े “नफ़रत फैलाने वाले वक्तव्य (Hate Speech)” मामले में दिल्ली हाइकोर्ट (Delhi High Court) की एक रोचक टिप्पणी सामने आई है जिसकी चर्चा सोशल मीडिया से लेकर मीडिया जगत तक मे छाई हुई है।

    इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि “अगर आप मुस्कान के साथ कुछ कह रहे हैं, तो कोई अपराध नहीं है।” कोर्ट की इसी टिप्पणी को लेकर चर्चा है। कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि “अगर आप कुछ आपत्तिजनक कह रहे हैं, तो यह जरूर अपराध है।”

    दरसअल दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के द्वारा अभद्र भाषा (Hate Speech) के उपयोग किये जाने पर उनके खिलाफ आपराधिक मामला शुरू की याचिका पर बहस चल रही थी, उसी दौरान न्यायपीठ ने यह टिप्पणी की। मामले का अंतिम फैसला खंडपीठ ने अपने पास सुरक्षित रख लिया हैं।

    क्या है पूरा मामला?

    कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के नेता वृंदा करात ने हाइकोर्ट (Delhi High Court) के समक्ष एक याचिका दायर किया है जिसमें उन्होंने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ हेट-स्पीच (Hate Speech) मामले में निचली अदालत (Lower Court)  के फैसले को चुनौती दी है।

    निचली अदालत ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ अभद्र और भड़काऊ भाषणों से जुड़ी शिकायत को खारिज कर दिया था जो इन दोनों नेताओं द्वारा 2020 के दिल्ली दंगों मसे ठीक पहले दिए गए भाषणों के संदर्भ में थी।

    Hate Speech : क्या कहा था इन नेताओं ने ?

    केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने भाषण में कहा था- “देश के गद्दारों को, गोली मारो **** को”

    वहीं प्रवेश वर्मा ने एक भाषण में कहा था- “ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बेटियों को उठाएंगे और उनका बलात्कार करेंगे….”

    जब यह व्यक्तव्य दिया गया, उस वक़्त देश के CAA/NRC को लेकर एक विशेष समुदाय  के लोगों द्वारा दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन चल रहे थे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों और कानून के समर्थकों के बीच हुई झड़प धीरे भीषण दंगा का रूप धारण कर लिया जिसमें दोनों ही पक्षों से दर्जनों जानें गई।

    अब यह नहीं कहा जा सकता है कि सीधे तौर पर दंगाई अनुराग ठाकुर के भाषणों से ही उत्तेजित हुए; लेकिन उस समय के मीडिया रिपोर्ट्स को देखें और समझें तो यह कहा जा सकता है कि इन भाषणों ने आग में घी डालने का काम किया।

    वृंदा करात ने इन्ही तथ्यों के आधार पर निचली अदालत से गुहार लगाई थी कि इन नेताओं के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की जानी चाहिए जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया| इसके बाद वृंदाकरात ने इस मामले को लेकर हाइकोर्ट में अपील की हैं जिसे लेकर दिल्ली हाइकोर्ट की एकल पीठ मे जस्टिस चंद्रधारी सिंह के द्वारा की जा रही है।

    कोर्ट ने क्या कहा..

    जस्टिस चंद्रधारी ने कहा कि चुनावी भाषण और अन्य समय मे दिए गए भाषणों में अंतर होता है। चुनाव के दौरान कोई ऐसा भाषण दिया जाए तो उसका अलग मतलब होता है, और अगर आप सामान्य समय मे इस तरह का भाषण (Hate Speech) देते हैं (देश के गद्दारों को, गोली मारो **** को टाइप) तो आप कुछ भड़का रहे हैं।

    जस्टिस चंद्रधारी ने कहा कि चुनाव के दौरान एक नेता दूसरे नेताओं के बारे में बहुत कुछ कहते रहते हैं… यह भी गलत है लेकिन हमें आपराधिकता के दायरे को देखना होगा। वरना हर राजनेता के खिलाफ 1000 FIRs रोज ही दर्ज होने लगेंगे।

    उन्होंने इसी वक्तव्य में आगे जोड़ते हुए कहा- ” क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हैं… आपको बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी का भी ध्यान रखना होगा। ऐसे भाषण सिर्फ चुनाव जीतने के मकसद से दिए जा रहे हैं या भड़काने (Hate Speech) के मक़सद से…. ये दो अलहदा बातें हैं; हमें यह ध्यान में रखना होगा।”

    वहीं प्रवेश वर्मा के भाषण को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट में याचिकाकर्ता से पूछा, आप कैसे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनके भाषण में “ये लोग” शब्द एक खास समुदाय के लिए प्रयोग किया गया है?

    जब याचिकाकर्ता वृंदा करात के वकील पुजारी ने कहा कि चुनाव हो या ना हो, इस व्यक्तव्य में भड़काऊपन मौजूद है।

    इस पर कोर्ट ने कहा कि CAA/NRC का विरोध अगर सभी समुदायों द्वारा किया गया है तो “ये लोग” का एक व्यापक मतलब है, एक खास समुदाय के प्रति नहीं। यह बस एक माहौल बनाने जैसा भाषण है और इसके लिए अपराध तय करना मुमकिन नहीं है।

    Hate Speech मामले पर अंतिम फैसला कोर्ट ने अपने पास सुरक्षित रखा

    हाइकोर्ट के एकल पीठ ने इस मामले (Hate Speech) पर अपना आखिरी फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया है। लेकिन पूरी सुनवाई के दौरान जो बात सबसे ज्यादा हैडलाइन बनी वह ये कि – “….मुस्कुरा कर कुछ कहा जाय, वह अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा।”

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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