दिल्ली हाईकोर्ट ने रोहिणी स्थित संस्थान आध्यात्मिक विश्वविद्यालय को तत्काल विश्वविद्यालय शब्द हटाने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि ये यूजीसी के नियमों के विपरीत है। इस जगह पर महिलाओं व लडकियों को कारावास की तरह बंद करके रखा गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि आश्रम द्वारा किए जा रहे ‘विश्वविद्यालय’ शब्द का इस्तेमाल पूरी तरह से कानून के विपरीत है और यूजीसी मानदंडों के दायरे में नहीं आता है।
यूजीसी नियमों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि ये संस्थान विश्वविद्यालय के रूप में किसी भी नियमों की पालना नहीं कर पा रहा है। इसलिए संस्थान के नाम में से विश्वविद्यालय शब्द को तत्काल हटाया जाए। वहीं हाईकोर्ट ने सीबीआई को रोहिणी आश्रम के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित की उपस्थिति को सुरक्षित किए जाने के आदेश दिए है।
सीबीआई को कोर्ट ने कहा कि वे कानून के तहत दीक्षित की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। गौरतलब है कि दीक्षित जनवरी से जांच में शामिल नहीं हुआ है।
संस्था संस्थापक पर है गंभीर आरोप
रोहिणी स्थित संस्थान आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के खिलाफ एक गैर-सरकारी संगठन ने आरोप लगाए थे जिसकी याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में संस्था के संस्थापक दीक्षित के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए है।
आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के कामकाज को एक अपराध के तौर पर बताया है। कोर्ट ने कहा कि आश्रम को निर्देश दिया जाता है कि वह विश्वविद्यालय और यूनिर्विसटी का आभास देने वाले शब्द को तत्काल हटाए। सीबीआई ने इससे पहले हाईकोर्ट को बताया था कि दीक्षित के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था।