गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा मुख्यमंत्रियों और अन्य अधिकारियों को एक बैठक में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार माओवादियों का भौगोलिक प्रभाव देश के केवल 41 जिलों तक सीमित है। 2010 में 10 राज्यों में ऐसे 96 जिलों से अब के आंकड़ों में भारी कमी आई है। इस बैठक को रविवार को आयोजित किया गया था।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि, “इन तत्वों को कुछ इलाकों में धकेल दिया गया है जिसमें देश में एलडब्ल्यूई (वामपंथी चरमपंथ) हिंसा का 85% हिस्सा केवल 25 जिलों में है।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा और अन्य विकासात्मक पहलुओं की समीक्षा के लिए इस बैठक की अध्यक्षता की।
इस बैठक में झारखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा के मुख्यमंत्री उपस्थित थे, जबकि छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल का प्रतिनिधित्व पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिवों ने किया। आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व उसके गृह मंत्री ने किया था। बैठक को संबोधित करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र पर राज्य में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या में कमी करने का आरोप लगाया, जो बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) और सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरए) योजना के तहत 33 करोड़ रुपये का लाभ उठा सकते हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि (बलों की तैनाती के लिए) एमएचए ने झारखंड के खिलाफ 10,000 करोड़ का बिल उठाया था और अनुरोध किया था कि बिलों को बट्टे खाते में डाल दिया जाए और “भारत सरकार भविष्य में राज्य सरकारों को ऐसे बिल नहीं भेजने का फैसला करे।”
मानदंडों के अनुसार राज्य सरकारों को एक राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती पर खर्च की गई राशि की प्रतिपूर्ति करनी होती है। गृह म्नत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएपीएफ की तैनाती पर राज्यों के निश्चित खर्च को कम करने का निर्णय लिया था और राज्यों द्वारा खर्च 2018-19 की तुलना में 2019-20 में लगभग 2,900 करोड़ रुपये कम हो गया है।
हेमंत सोरेन ने यह भी कहा कि माओवादियों ने बुद्ध पहाड़ नामक एक दुर्गम स्थान को अपना अभयारण्य बना लिया है और इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा छत्तीसगढ़ में पड़ता है और संयुक्त अभियान चलाने के लिए पड़ोसी राज्य का सहयोग मांगा है।