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    कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार केंद्र सरकार ने 5.5 करोड़ किसानों के रिकॉर्ड के साथ एक राष्ट्रीय किसान डेटाबेस (नेशनल फार्मर्स डटबेस) बनाया है जिसे दिसंबर तक राज्य भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस (लैंड रिकॉर्ड डेटाबेस) से जोड़कर 8 करोड़ किसानों तक बढ़ाने की उम्मीद है।

    सोमवार को कृषि पर एक वर्चुअल सम्मेलन में मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों का डेटाबेस डिजिटल कृषि में प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि, “कृषि को डिजिटल प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक अनुसंधान और ज्ञान से जोड़ा जाना चाहिए।”

    कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि मौजूदा राष्ट्रीय योजनाओं जैसे पीएम-किसान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और बीमा योजना- प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना से डेटा लेकर राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया था। अब तक इस तरह से 5.5 करोड़ किसानों की पहचान की जा चुकी है। कृषि मंत्री ने राज्यों से राष्ट्रीय डेटाबेस की संघीय संरचना का उपयोग करके अपने स्वयं के डेटाबेस बनाने का आग्रह किया और राज्यों द्वारा बनाए गए भूमि अभिलेखों को जोड़ने की अनुमति भी दी।

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों की मदद से साल के अंत तक कुल आठ करोड़ किसानों को इस डेटाबेस में शामिल किया जाएगा। उन्होंने सम्मेलन में प्रस्तुत अन्य मुख्यमंत्रियों से डिजिटल कृषि के लिए कर्नाटक मॉडल का अध्ययन करने का भी आग्रह किया।

    जुलाई में नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा को बताया था कि डेटाबेस का उपयोग “उच्च दक्षता के साथ लक्षित सेवा वितरण के लिए और एक केंद्रित और समयबद्ध तरीके से” किया जा सकता है और यह प्रस्तावित एग्रीस्टैक डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मूल है। पहले से ही माइक्रोसॉफ्ट, एमेजॉन और पतंजलि जैसी कंपनियों को डेटाबेस से डेटा का उपयोग कर किसानों के लिए प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने के लिए कहा गया था। हालाँकि विभिन्न प्राइवेसी मुद्दों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस तरह से किसानों के डेटा का उपयोग करने के बारे में गोपनीयता और सहमति संबंधी चिंताओं को उठाया है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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