भारत जल्द ही रूस के साथ द्विपक्षीय लोजिस्टिक्स समझौते को पूरा करने के लिए तैयार है। जबकि यूके के साथ भी लोजिस्टिक्स समझौता समापन के अंतिम चरण में है। कई देशों के साथ हस्ताक्षर किए गए समझौतों से भारतीय नौसेना इन प्रशासनिक व्यवस्थाओं की सबसे बड़ी लाभार्थी रही है। इनके द्वारा परिचालन बदलाव में सुधार और उच्च समुद्रों पर अंतर-संचालन क्षमता में वृद्धि हुई है।
एक रक्षा सूत्र ने कहा कि, “रूस के साथ, रिसीप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (आरईएलओएस) पर एक या दो महीने में हस्ताक्षर होने की संभावना है, जबकि यूके के साथ समझौता अंतिम चरण में है और जल्द ही निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।” अधिकारियों ने कहा कि वियतनाम सहित कुछ और देशों के साथ लोजिस्टिक्स समझौते पर बातचीत प्रारंभिक चरण में है।
भारत ने 2016 में अमेरिका के साथ लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) के साथ हस्ताक्षर किये थे। इसके बाद सभी क्वाड देशों, फ्रांस, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के साथ कई लोजिस्टिक्स समझौतों को भी निष्कर्ष तक पहुँचाया गया। यह सभी समझौते प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े हुए हैं जो ईंधन और प्रावधानों के आदान-प्रदान के लिए सैन्य सुविधाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान करते हैं। ऐसे आपसी समझौते पर भारत से दूर संचालन करते समय सैन्य समर्थन को सरल बनाने और सेना के परिचालन में वृद्धि को आसान बनाने पर जोर देते हैं।
लोजिस्टिक्स सप्लाई एग्रीमेंट (एलएसए) एक दूसरे के साथ विभिन्न गतिविधियों के निष्पादन और सहायता करने के लिए दो देशों के बीच एक समझौता है। एलएसए मूल रूप से एक द्विपक्षीय समझौता है। एलएसए उन देशों की सुविधाओं तक पारस्परिक पहुंच की अनुमति देता है जिन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ अंतर-सरकारी आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता करने के लिए दो महीने में रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु की यात्रा के दौरान रूस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।