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    ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने शुक्रवार को अहमदाबाद स्थित ज़यडस सेडिल्ला समूह द्वारा विकसित एक कोरोना वैक्सीन ज़यकोव-डी को आपातकालीन मंजूरी दे दी है। इस अनुमति से साथ ही यह भारत में पहला वैक्सीन बन गया है जिसे वयस्कों के साथ-साथ 12 और उसके ऊपर के बच्चों को भी दिया जा सकता है।

    यह दुनिया में एकमात्र डीएनए-आधारित टीका भी है और इसे बिना सुई के प्रशासित किया जा सकता है। कथित तौर पर यह टीका प्रतिक्रियाओं की संभावना को कम करता है।

    डीबीटी बयान में कहा गया है कि, “इस टीके ने पहले से किए गए अनुकूली चरण I / II नैदानिक ​​परीक्षणों में ही मजबूत इम्युनोजेनेसिटी और सहनशीलता और सुरक्षा प्रोफ़ाइल का प्रदर्शन किया था। चरण I / II और चरण III नैदानिक ​​परीक्षणों की निगरानी एक स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड द्वारा की गई है। वैक्सीन को ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है। तीन-खुराक वाली यह वैक्सीन एक बार दिए जाने के बाद कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करती है और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्राप्त करती है।

    डीबीटी ने कहा, “प्लग-एंड-प्ले तकनीक जिस पर प्लास्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म आधारित है, को वायरस में उत्परिवर्तन से निपटने के लिए आसानी से अनुकूलित किया जा सकता है, जैसे कि पहले से ही हो रहा है।” ज़यडस सेडिल्ला ने दवा किया है कि यह वैक्सीनअत्यधिक संक्रामक डेल्टा सहित नए वायरस वैरिएंट के खिलाफ काम करता है।

    इसकी दूसरी खुराक पहली खुराक के 28वें दिन और तीसरी खुराक 56वें दिन पर लगायी जायेगी। यह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्राप्त करता है, जो रोग से सुरक्षा के साथ-साथ वायरल निकासी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज़यडस सेडिल्ला ने कहा कि यह वैक्सीन एक दर्द रहित इंट्राडर्मल ऐप्लिकेटर के माध्यम से दिया जाता है। साथ ही कंपनी ने यह भी बताया कि वह वैक्सीन के दो-खुराक वाले प्लान के लिए अनुमोदन लेने की योजना बना रहा है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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