Fri. Nov 22nd, 2024

    मंगलवार को एक तनावपूर्ण दिन के बाद वायु सेना के विमान ने 140 भारतीयों को लेकर कल काबुल से उड़ान भरी और वापस लौटा। इस विमान में कुल 120 भारतीय दूतावास कर्मचारी और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान, 16 नागरिक और चार मीडियाकर्मी शामिल थे।

    भारतीय वायु सेना द्वारा संचालित एक सी-17 ग्लोबमास्टर को इस मिशन के लिए काबुल भेजा गया था। हालांकि, भारत सरकार ने यह आश्वासन किया कि उसने अफगानों को “छोड़ा” नहीं है। सरकार की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि वह भारत आने के इच्छुक अफगान नागरिकों के लिए एक नई ई-वीजा श्रेणी शुरू कर रही है।

    अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन ने गुजरात के जामनगर में एक ईंधन भरने के ठहराव के दौरान कहा कि, “हम 192 कर्मियों का एक बहुत बड़ा मिशन थे जिन्हें तीन दिनों की अवधि के भीतर दो चरणों में बहुत ही व्यवस्थित तरीके से अफगानिस्तान से निकाला गया है।”

    16 अगस्त को एक अन्य सी-17 ग्लोबमास्टर ने लगभग 40 राजनयिकों और अन्य कर्मियों को वापस लाया था। उस समय दूतावास के अन्य कर्मियों को काबुल में तालिबान गार्डों द्वारा हवाई अड्डे पर से वापस कर दिया गया। तब तालिबानी लड़ाकों ने काफिले को रोका, कुछ उपकरण जब्त किए और उन्हें दूतावास में वापस जाने के लिए मजबूर किया था।

    सूत्रों के अनुसार कुछ कठिन और अनिश्चित घंटों के बाद, रुद्रेंद्र टंडन के नेतृत्व में भारतीय राजनयिकों ने काबुल से काफिले के सुरक्षित मार्ग से निकलने को सुनिश्चित करने के लिए तालिबान के अन्य विद्रोहियों से संपर्क साधा। इसके बाद वे न्य राजनयिक मिशनों और अमेरिकी सेना के नियंत्रण वाले हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए।

    एयरपोर्ट पर रात बिताने के बाद भारतीय सुबह करीब छह बजे फ्लाइट में सवार हुए। रडार ट्रैकिंग वेबसाइटों के अनुसार, दोनों उड़ानों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से बचने और अफगान हवाई क्षेत्र के माध्यम से यात्रा को कम करने के लिए एक लंबा और घुमावदार मार्ग लिया। यह विमान ईरान के ऊपर उड़ान और अरब सागर के ऊपर से उड़ान भरते हुए गुजरात के रास्ते से दिल्ली वापस भारत लौटा।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *