Wed. Dec 25th, 2024 11:15:07 AM

    डिजिटल मुद्रा का उपयोग करने की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के जल्द ही पायलट परियोजनाओं को शुरू करने की संभावना है। पूर्ण रूप से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) शुरू करने से पहले रिज़र्व बैंक थोक और खुदरा भुगतान करने के लिए डिजिटल मुद्रा के उपयोग को जांचना और परखना चाहता है।

    आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने गुरुवार को कहा कि, “हर विचार को अपने समय का इंतजार करना पड़ता है, शायद सीबीडीसी का समय आ गया है।” उन्होंने कहा कि, “अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह, हम भी काफी समय से इसके फायदे और नुकसान तलाश रहे हैं।”

    भारत पहले से ही डिजिटल भुगतान में अग्रणी है, लेकिन छोटे मूल्य के लेनदेन के लिए नकद प्रमुख है। डिप्टी गवर्नर शंकर जोर देकर कहा कि एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा, नकद मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करेगी। इसके साथ ही बिना किसी दो बैंकों के आपसी लेन-देन के वास्तविक समय में भुगतान को पूरा करेगी।

    उन्होंने बोला कि, “अभी कुछ प्रमुख मुद्दों की जांच की जा रही है। जैसे कि क्या इसका उपयोग खुदरा भुगतान में किया जाना चाहिए या थोक भुगतान में, अंतर्निहित तकनीक क्या होनी चाहिए, क्या सत्यापन तंत्र टोकन-आधारित होना चाहिए, आदि। थोक और खुदरा क्षेत्रों में पायलटों का संचालन निकट भविष्य में एक संभावना हो सकती है।”

    वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने आरबीआई अधिनियम सहित कानूनी ढांचे में बदलाव के साथ सीबीडीसी की शुरुआत की सिफारिश की थी। आरबीआई अधिनियम ही वर्तमान में केंद्रीय बैंक को बैंक नोट जारी करने को विनियमित करने का अधिकार देता है।

    डिप्टी गवर्नर शंकर ने विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा आयोजित एक चर्चा में कहा कि, “भारत का मुद्रा-से-जीडीपी अनुपात काफी अधिक है। यहाँ सीबीडीसी बहुत लाभदायक साबित हो सकता है। काफ़ी हद तक बड़े नकदी उपयोग को सीबीडीसी द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है। इससे कागजी मुद्रा की छपाई, परिवहन और भंडारण की लागत को काफी कम किया जा सकता है।

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