सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल सरकार को बकरीद समारोह के लिए 18 से 20 जुलाई के बीच कोरोना वायरस प्रतिबंधों में ढील देने के कारणों की व्याख्या करने के लिए 24 घंटे से भी कम समय दिया। कोर्ट ने यह टिपण्णी की कि ऐसी किसी भी घटना जिससे जीवन सीधे प्रभावित होगा ऐसे किसी भी फैसले या घटना को ख्ती से देखा जाएगा और “शीघ्र कार्रवाई ” होगी।
न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने राज्य को शाम तक ऐसा विचार करने के लिए कहा और मामले को मंगलवार को सबसे पहले सुनवाई के लिए पोस्ट किया। राज्य द्वारा दिए गए हलफनामे में कहा गया था कि राज्य की रणनीति “जीवन और आजीविका के बीच एक तर्कसंगत संतुलन” हासिल करना है। सरकार ने कहा कि व्यापारियों को उम्मीद थी कि बकरीद उनके दुख को कम करेगी।
राज्य में व्यापारियों ने माल का स्टॉक जल्दी भर लिया था। साथ ही उन्होंने कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया था। विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने भी व्यापारियों के मुद्दे का समर्थन किया था। राज्य ने बकरीद के लिए प्रतिबंधों में ढील देते हुए विशेष रूप से आदेश दिया था कि “जहाँ तक संभव हो”, ग्राहकों के पास कोरोना वायरस वैक्सीन का कम से कम एक शॉट होना चाहिए और उन्हें प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना चाहिए।
इससे पहले, बेंच ने “केरल राज्य में चल रही स्थिति और समारोहों” को ध्यान में रखा कर स्तिथि का जायज़ा लिया। केरल के वकील जी. प्रकाश ने कहा कि केवल कुछ दुकानें नियंत्रित तरीके से खोली गई हैं।
पीकेडी नांबियार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ने कांवड़ यात्रा रोक दी है, वहीँ केरल ने बकरीद के कारण लॉकडाउन प्रतिबंधों के लिए एक “आकस्मिक” रवैया प्रदर्शित किया है।
पीकेडी नांबियार ने अपनी दलील में कहा, “केरल ने ईद के अवसर पर लॉकडाउन में ढील उसी दिन दी, जिस दिन प्रधान मंत्री ने सावधानी बरतने का आह्वान किया था … केरल में कोरोना वायरस के खतरनाक संख्या में मामलों का आना जारी है, जबकि कई अन्य राज्यों की स्थिति में सुधार हुआ है।”
सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सूचित किया कि 2021 में “कांवड़ यात्रा बिल्कुल नहीं होगी, इसे पूरी तरह से स्थगित कर दिया गया है”। जिसके बाद कोर्ट ने मामले को बंद कर दिया।