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    नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास में जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं के साथ पीएम मोदी ने करीब साढ़े तीन घंटे तक मंथन किया। इस दौरान जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दोबारा देने की मांग जोर-शोर से उठाई गई। साथ ही, राज्य में जल्द चुनाव कराने की बात भी कही गई। बैठक में मौजूद नेताओं ने बताया कि राज्य के बंटवारे पर भी नाराजगी जताई गई। इसके अलावा विकास के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।

    जम्मू-कश्मीर पार्टी में अपनी पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने बताया कि बातचीत बड़े अच्छे माहौल में हुई। पीएम मोदी ने सभी नेताओं के मुद्दे सुने। उन्होंने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अल्ताफ बुखारी ने कहा कि परिसीमन खत्म करने को लेकर समयसीमा फिलहाल तय नहीं की गई। इसके अलावा चुनाव जल्द कराने पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हर किसी ने अपने दिल की बात कही।

    उन्होंने अनुच्छेद 370  के सवाल पर कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो उस पर क्या बात होती। दुख तो हुआ इसकी शिकायत जरूर लोगों ने की लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो उसका फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगी।

    7 सीटों के बढ़ने की संभावना

    परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।

    शाह ने कहा था- सही समय पर बहाल होगा पूर्ण राज्य का दर्जा

    इसके बाद फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक संसद में पारित किए जाने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आश्वासन दिया था कि केंद्र उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करेगा।

    डीडीसी चुनाव में सबसे बड़ा दल बनी भाजपा

    सात महीने पहले ही इस केंद्रशासित प्रदेश में जिला विकास परिषद के चुनाव संपन्न हुए थे। इस चुनाव में गुपकर गठबंधन को 280 में से 110 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। गठबंधन के दलों में नेशनल कांफ्रेस को सबसे अधिक 67 सीटों पर विजय हासिल हुई थी जबकि 75 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। जम्मू-कश्मीर में 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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