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    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों के बीच तनाव के बीच स्विटजरलैंड के जिनेवा में हाईप्रोफाइल मुलाकात की है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बैठक में मानवाधिकारों के मुद्दों पर जोर दिया। इसमें दो अमेरिकियों के मामले शामिल हैं जिनके बारे में बाइडेन का कहना है कि उन्हें रूस में ”गलत तरीके से कैद रखा गया है।

    बाइडेन ने यह भी कहा कि वह पुतिन विरोधी नेता एलेक्स नवेल्नी जैसे मामलों के बारे में अपनी चिंताओं को उठाते रहेंगे। एलेक्स नवेल्नी अभी जेल में बंद हैं। बाइडन ने कहा कि वह ”मूलभूत मानवाधिकारों के मुद्दों के बारे में चिंताओं को उठाते रहेंगे क्योंकि, हम ऐसे ही हैं। बुधवार को जिनेवा में पुतिन के साथ करीब चार घंटे की मुलाकात के बाद बाइडन ने यह टिप्पणी की।

    दो सत्रों में करीब साढ़े तीन घंटे हुई अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से वार्ता कई मायनों में लाभदायक रही। दोनों देश परमाणु हथियार नियंत्रण संधि को पुनर्जीवित करने के लिए बातचीत शुरू करेंगे। इससे दुनिया से परमाणु हथियारों का खतरा कम होगा। दोनों देश संबंध सुधार की दिशा में कदम उठाते हुए एक-दूसरे के देशों में राजदूतों की पुन: नियुक्ति भी करेंगे। अमेरिका ने यूक्रेन समेत कई मसलों पर रूसी रुख के विरोध में अप्रैल में अपने राजदूत को मॉस्को से बुला लिया था। बाद में रूस ने भी जवाबी कदम उठाया था।

    18 वीं सदी के ला-ग्रैंजे मेंशन में हुई दोनों ताकतवर नेताओं की वार्ता के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन मीडिया के सामने पहले आए। उन्होंने वार्ता को फलदायी, ठोस और मौलिक बताया। लेकिन पुतिन को यह खला कि बाइडन ने उन्हें अपने कार्यालय व्हाइट हाउस में आमंत्रित नहीं किया। बाइडन को भी क्रेमलिन आने का न्योता नहीं दिया गया है। पुतिन ने बताया कि बाइडन से उनकी यूक्रेन के मुद्दे पर बात हुई। वहां पर हो रहे लोगों के उत्पीड़न पर चिंता जताई। लेकिन यूक्रेन को नाटो में शामिल किए जाने के मसले पर पुतिन ने कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। रूसी राष्ट्रपति ने बताया कि दोनों देश मिलकर साइबर सिक्युरिटी का फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए कार्य करेंगे।

    बाद में मीडिया के सामने आए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने साफ कर दिया कि अगर उनके देश के चुनाव में दखलंदाजी हुई या खास जगहों पर साइबर अटैक हुए तो उसका खामियाजा रूस को भुगतना पड़ेगा। वह तीन बातें बताने के लिए रूसी राष्ट्रपति से मिले थे। पहली- रूस अब कोई गलती न करे, न ही किसी गलतफहमी में रहे। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ कोई कार्य न करे। दूसरी-आपसी हित और वैश्विक हित के कार्य दोनों देश मिलकर करें। तीसरी- हम रूस के खिलाफ बिल्कुल नहीं हैं। हमारी सरकार अमेरिकी लोगों के हितों के साथ है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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