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    पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की एक हाइ लेवल बैठक को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक को संबोधित किया। संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन के दलों के सम्मेलन के 14वें सत्र के अध्यक्ष प्रधान मंत्री मोदी कल शाम 7.30 बजे इस वर्चुअल उच्च स्तरीय में शामिल हुए।

    संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बोज़किर नेभूमि क्षरण से लड़ने में हुई प्रगति का आकलन करने और स्वस्थ भूमि को पुनर्जीवित करने और बहाल करने के वैश्विक प्रयासों पर आगे का रास्ता तय करने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन के समर्थन में ये बैठक बुलाई गयी थी।

    संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार, बैठक में विश्व के नेता, मंत्री और सरकारी प्रतिनिधि, कृषि उद्योग के नेता, संयुक्त राष्ट्र संस्थानों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज समूहों के साथ-साथ आम जनता के सदस्य शामिल रहे।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, उच्च स्तरीय कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद, मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अवर महासचिव और कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव और पील महिला और स्वायत्त लोगों के संघ के समन्वयक, चाड के हिंद ओउमारौ इब्राहिम के साथ-साथ राज्य और सरकार के प्रमुख, मंत्री और संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने भी संबोधित किया।

    यह सीबीडी सीओपी15, यूएनएफसीसीसी सीओपी26, यूएनसीसीडी सीओपी15 और 2021 फूड सिस्टम्स समिट के मार्ग के साथ-साथ पूरे एसडीजी एजेंडे के केंद्र में और जलवायु, जैव विविधता और आपदा जोखिम में कमी के लिए भूमि बहाली को रखेगा। संवाद का उद्देश्य भूमि के मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान केंद्रित करना और कोविड-19 अनुकूलन और पुनर्प्राप्ति रणनीतियों के भीतर भूमि समाधान को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करना है। यह सभी सदस्य राज्यों को भूमि क्षरण तटस्थता लक्ष्यों और राष्ट्रीय सूखा योजनाओं को अपनाने और लागू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

    मोदी बोले, ‘दुखद है कि भूमि क्षरण ने आज दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा।’

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘इसलिए हमें भूमि और इसके संसाधनों पर भयंकर दबाव को कम करना होगा। अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हम साथ मिलकर इसे कर सकते हैं।’
    प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में भूमि को हमेशा से महत्व दिया जाता रहा है। इसे लोग अपनी मां भी मानते हैं। भारत ने भूमि क्षरण को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा बनाया है। पिछले 10 वर्षों में भारत ने 30 लाख हेक्टेयर जमीन को जोड़ा है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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