गुरुवार को एक वेबसाइट ने दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले 15 करोड़ भारतीयों का डेटा डार्क वेब पर लीक हो गया है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय और सिक्यॉरिटी रिसर्चर ने डेटा लीक की इस घटना से इनकार किया है। लेकिन मामले की जांच किए जाने की बात कही है।कोविन प्लैटफॉर्म के जरिए देश में कोविड -19 वैक्सीनेशन का स्लॉट बुक होता है।
कोविन पर यूजर्स को स्लॉट बुक करने के लिए अपना आधार कार्ड या कोई दूसरा सरकारी आईडी कार्ड, फोन नंबर और लोकेशन जैसी जानकारियां सबमिट करनी होती हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया कि 150 मिलियन यूजर्स के फोन नंबर और आधार कार्ड की जानकारी लीक हुई है।
केंद्र सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला कोविन सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है और इस सिस्टम को हैक करने वाली खबरें फर्जी नजर आती हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा कि वो इस मामले की जांच करवाएगी।
बयान में कहा गया कि कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की ओर से इसकी जांच कराई जाएगी। कोविन के हैक होने की खबरों को खारिज करते हुए स्वास्थ्य मंत्री और एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के चेयरमैन आर एस शर्मा ने कहा कि कोविन एप स्टोर किया गया सभी डाटा सुरक्षित है।
सरकार ने बयान में कहा कि ऐसी कुछ खबरें सामने आई हैं कि कोविन एप को हैक किया जा सकता है। हालांकि प्रथम दृष्टता ये सभी खबरें फर्जी नजर आती हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना और तकनीकी मंत्रालय के कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के जरिए इसकी जांच करवाएगा।
आर एस शर्मा ने कहा कि कोविन का डाटा सिस्टम के बाहर किसी दूसरी संस्थान से शेयर नहीं किया जाता। शर्मा ने एक बयान में कहा कि खबरों में ऐसा बताया गया है कि कोविन एप को हैक किया जा सकता है, हमारा इस पर ध्यान गया है। इस संबंध में हम कहना चाहते हैं कि कोविन पर सभी डाटा सुरक्षित है। बता दें कि देश में आरोग्य सेतू और उमंग एप के अलावा कोई दूसरी मोबाइल एप नहीं है, जो वैक्सीनेशन का रजिस्ट्रेशन कर रही हो और दोनों ही सूरतों में वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए एप के जरिए कोविन पर लॉन इन करना होता है।