विभिन्न टेलीविजन नेटवर्क द्वारा प्रसारित ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में कुछ नए आंकड़े दिखाएं। जिसमें कई मतदाताओं ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को बढ़त दी, और कुछ ने भाजपा को फायदा दिया। जहां ममता बनर्जी दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद बरकरार रखना चाह रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 200 से अधिक सीटों पर बहुमत हासिल करने का पूरा भरोसा है।
तमिलनाडु में लगभग सभी ने डीएमके-कांग्रेस-वाम गठबंधन के लिए एक शानदार जीत की भविष्यवाणी की है। एआईएडीएमके पहली बार विधानसभा चुनाव में अपनी दिग्गज नेता स्वर्गीय जे जयललिता के बिना गई है।
असम में भाजपा सत्ता में लौटने के लिए तैयार है, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर पीछे रहेगी। जनमत सर्वेक्षणों ने सत्तारूढ़ भाजपा को कांग्रेस-एआईयूडीएफ विपक्षी गठबंधन पर बढ़त बनाने की आशंका जताई है। भाजपा ने 2016 में पहली बार असम में कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी।
एग्जिट पोल, अगर यह वास्तव में सच होते हैं, तो कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका होगा क्योंकि पार्टी को केरल में हार का अनुमान है, जो आमतौर पर हर पांच साल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ के बीच वैकल्पिक होता है, और असम जहां उसने एक उत्साही अभियान छेड़ा था और पांच साल के अंतराल के बाद भाजपा से सत्ता हासिल करने की उम्मीद जताई थी। पार्टी इन दो राज्यों में चुनावी लड़ाई का नेतृत्व कर रही थी, जिसमें वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने यहां बहुत ध्यान केंद्रित करवाया था।
लेकिन सभी की निगाहें निश्चित रूप से बंगाल पर टिकी हैं। जहां तीन सर्वेक्षणों ने भाजपा को तृणमूल कांग्रेस से आगे दिखाया। भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि एग्जिट पोल से पता चला है कि पार्टी “नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में असम में फिर से सत्ता हासिल करेगी और भाजपा पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आगे के लिए हम केरल और तमिलनाडु में अपना समर्थन और मतदाता आधार बढ़ाएंगे”।
विधानसभा चुनाव से जुड़े सारे अनुमान केवल उन लोगों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित हैं जिन्होंने अपना वोट डाला है और मतदान केंद्रों के बाहर तैनात मतदाताओं द्वारा सर्वेक्षण किया गया है। एग्जिट पोल, जो इस धारणा पर आधारित है कि मतदाताओं ने अपनी पसंद को सही तरीके से दर्शाया है वह अक्सर असल नतीजों से थोड़े दूर रह जाते हैं। मतों की गिनती पूरी होने पर ही वास्तविक परिणाम का पता लगाया जा सकता है, जो कि 2 मई को सभी चार राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में होने हैं।