मालदीव में राजनीतिक संकट गहरा चुका है। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 15 दिन की आपातकाल की स्थिति घोषित की। मालदीव के सैन्य बलों ने शीर्ष अदालत पर हमला करते हुए मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद को गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं एक पूर्व राष्ट्रपति को भी गिरफ्तार किया गया।
इस संकट की शुरूआत जब हुई तब मालदीव के राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था जिसे मानने से इनकार करने पर इस संकट की शुरुआत हुई थी। जब से यामीन राष्ट्रपति पद पर काबिज हुए है तब से ही उन्होंने अपने राजनैतिक विरोधियों को जेल में जबरन भिजवा दिया।
मालदीव पुलिस ने यामीन का बहिष्कार करने वाले भाई व पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया था, जो मुख्य विपक्षी दल के पक्ष में थे और उनके खिलाफ प्रचार कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति की बेटी युम्ना मौमून ने ट्विटर पर बताया कि 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से ले जाया गया। मौमून गयूम 30 साल तक मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके है।
जब सुरक्षा बलों ने कोर्ट में जाकर जज को गिरफ्तार करने के प्रयास किए तो भीड ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। पुलिस ने भीड़ को तीतर-बीतर करने के लिए काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया।
भारत व अमेरिका ने जताई चिंता
वहीं भारत ने मालदीव में रहने वाले अपने नागरिकों को अलर्ट किया है। साथ ही पर्यटकों को मालदीव यात्रा न करने की सलाह दी है। भारत सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि लोकतंत्र की भावना और कानून के शासन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करना सरकार के लिए जरूरी होता है।
हम आशा करते है कि मालदीव में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा मालदीव अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। अमेरिका ने भी कहा है कि सरकार को कानून का सम्मान करते हुए आदेश की पालना करनी चाहिए।