दिशा रवि केस में एक नया मोड़ सामने आया है। इस केस में पुलिस का कहना है कि दिशा रवि पुलिस के साथ जांंच में सहयोग नहीं कर रही है। वह पूछे गए सवालों का भी जवाब ठीक से नहीं दे रही है। बेंगलुरु से गिरफ्तार दिशा रवि को अब न्यायालय ने 3 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है। दिशा रवि पर आरोप है कि उसने किसानों के आंदोलन से संबंधित एक टूलकिट ग्रेटा थनबर्ग समेत और भी कुछ लोगों से साझा की थी। कुल मिलाकर उस पर देशद्रोह की साजिश रचने का आरोप है।
दिशा एक पर्यावरण कार्यकर्ता है और वह बेंगलुरु के कॉलेज से ग्रेजुएट है। दिशा रवि ग्रेटा थनबर्ग समेत और भी कई लोगों से संपर्क में थी जो किसान आंदोलन को भड़काने और देश के विरोध की साजिश रच रहे थे। पुलिस ने दिशा रवि के बारे में कोर्ट में यह बयान दिया है कि वह पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही और कुछ भी सवाल पूछने पर जवाब देने में आनाकानी कर रही है। साथ ही हर गलती को अपने साथी आरोपियों निकिता और शांतनु पर मढ़ रही है। पुलिस ने अदालत से उसे 3 दिन और न्यायिक हिरासत में रखने की मांग की थी जिसे अदालत ने मान लिया है। पुलिस ने दूसरे आरोपी शांतनु को भी नोटिस भेजा है।
दिशा रवि ने अपनी जमानत की भी अर्जी दी है और इस अर्जी पर 20 फरवरी को सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने इस मामले पर पुलिस से कहा है की वह मीडिया को इस मामले की जांच संबंधी जानकारियां लीक न करें। यदि पुलिस मीडिया को खबर देना चाहती है तो कानून के अनुसार प्रेस ब्रीफिंग करके खबर दे सकती है। साथ ही मीडिया को भी अदालत ने निर्देश दिया है कि वह कोई फर्जी खबर ना चलाएं और प्रमाणिक स्रोतों से प्राप्त सही खबरों को ही जनता तक आगे पहुंचाएं। कोर्ट ने मीडिया को सुझाव दिया है कि अपने कॉन्टेंट पर नियंत्रण रखें। मीडिया ने अभी तक इस मामले पर जो कवरेज की है वह पूरी तरह सनसनीखेज रही है और इससे जांच प्रभावित हो सकती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को भी इस मामले पर संजीदा रहने को कहा है।
आज दशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई थी। इसी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को अपने कॉन्टेंट पर नियंत्रण रखने व पुलिस को मीडिया से ज्यादा जानकारी साझा न करने का सुझाव दिया है। साथ ही दिशा रवि की न्यायिक हिरासत की सीमा बढ़ा दी गई है। दिशा रवि के वकील का कहना है कि दिल्ली पुलिस ट्विटर हैंडल के माध्यम से दिशा के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास कर रही है। कपिल सिब्बल ने इसे मौलिक अधिकारों और निजता के अधिकार का हनन बताया है और कहा है कि जब अभियुक्त की गिरफ्तारी हो चुकी है तो अब मीडिया ब्रीफिंग करने का कोई फायदा नहीं है। इसे तत्काल रोक दिया जाए। यह मामला देश की सुरक्षा व अखंडता से जुड़ा हुआ है। इसमें किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए इसका सुप्रीम कोर्ट पूरा ध्यान रख रहा है।