आज सुबह से ट्विटर पर एक हैशटैग ‘फैंसिंग लाइक चाइना पाक’ ट्रेंड कर रहा है। सुबह से यह ट्रेंड टॉप पर है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है। किसान आंदोलन स्थल से पुलिस ने बहुत सी सुविधाओं को हटा दिया है। सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर पुलिस ने किलेबंदी कर दी है। किसान दोबारा से कोई हिंसक झड़प न कर पाएं इसलिए काफी बड़ी मात्रा में फेंसिंग, बैरिकेड और जगह-जगह घेराबंदी की जा रही है। पुलिस ने सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए हुए हैं।
जिन इलाकों में हिंसा होने के आसार हैं, वहां से इंटरनेट की सुविधा को 2 फरवरी की शाम तक के लिए बंद कर दिया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जानकारी दी है कि कुछ ट्विटर अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया गया है। ब्लॉक करने का कारण है कि वे आंदोलन के नाम पर हिंसक व भ्रामक जानकारियां फैला रहे थे, जिनसे देश की एकता व अखंड़ता का माहौल खराब हो सकता है। पुलिस ने आंदोलन स्थल से दिल्ली की तरफ जा रहे सभी रास्तों पर भी जबरदस्त घेराबंदी और रोक लगा रखी है।
अचानक से इतनी कड़ी सुरक्षा क्यों की जा रही है इस सवाल को लेकर सोशल मीडिया में गहमागहमी चल रही है। किसानों का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने किसानों को आंदोलन में शामिल होने से रोकने के लिए यह सब प्रयास किया है और पुलिस किसान आंदोलन से डर चुकी है। साथ ही यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस ने आंदोलन स्थल से शौचालय, बिजली, पानी आदि जैसी सुविधाओं को भी हटा दिया है।
इसके के पीछे 6 तारीख को होने वाले चक्का जाम की तैयारियों के आसार भी लग रहे हैं। किसानों ने घोषणा की है कि 6 फरवरी को वे 3 घंटे चक्का जाम रखेंगे। इस प्रकार आंदोलन में कोई अप्रिय घटना ना हो इसको लेकर पुलिस एहतियात बरत रही है और इस तरह के कदम उठा रही है। हालांकि किसान आंदोलन में जगह-जगह बड़ी-बड़ी किसान सभायें व महापंचायतें बुलाई जा रही हैं। इसके बाद अंदेशा लगाया जा रहा है कि किसानों की भावनाएं कभी भी भड़क सकती हैं और 6 तारीख को होने वाली चक्का जाम के बाद कोई हिंसक घटना दोबारा हो सकती है।
किसी भी तरह के उपद्रव की स्थिति को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग कर के किलेबंदी कर दी है। हालांकि सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन के समर्थकों में इसके प्रति रोष देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों और समर्थकों का कहना है कि किसानों की आवाजाही को रोकने और आंदोलन को सीमित करने के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं।
पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं। बहुत से जगहों पर इंटरनेट की भी उपलब्धता नहीं है। धीरे-धीरे बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है और किसान नेता राकेश टिकैत के लगातार भड़काऊ बयानों के चलते ज्यादा से ज्यादा किसान बॉर्डर्स पर जुट रहे हैं। ऐसे में स्थिति साफ है कि जरूर कुछ ना कुछ हिंसक हो सकता है। गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा कुछ दोबारा ना हो यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस प्रयास कर रही है।