आज से देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। लेकिन इसके साथ ही इसपर राजनीति होना भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने टीकाकरण अभियान को पर सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया है कि टीका भरोसेमंद नहीं है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है और कहा है कि इस वैक्सीन को तीसरे फेज़ के ट्रायल के बिना ही इमरजंसी अप्रूवल दे दिया गया। यह वैक्सीन भरोसेमंद नहीं है। यदि यह वैक्सीन भरोसेमंद है तो सरकार से जुड़े लोग पहले वैक्सीनेशन क्यों नहीं करवा रहे हैं।
कांग्रेस ने सीधे-सीधे केंद्र सरकार पर वैक्सीन के भरोसेमंद न होने का आरोप लगाया है, लेकिन इस पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का बयान आया है कि कोरोना के खिलाफ ये वैक्सीन संजीवनी का काम करेगी। लोगों को इस पर अफवाहों से बचना चाहिए और वैज्ञानिकों पर भरोसा रखना चाहिए। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना से सबसे कम मृत्यु दर हमारे ही देश में है और हमने बहुत पहले से ही कोरोना से बचने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा लिए थे।
लेकिन कांग्रेस इसपर राजनीति से बाज नहीं आ रही है। कांग्रेस के पंजाब से सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि जिस भी देश में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है, वहां के नेताओं ने टीका लगवाया है, ताकि लोगों में वैक्सीन के प्रति भरोसा जग सके। तो फिर भारत में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? हालांकि दिल्ली के एम्स से शुरू हुए वैक्सीनेशन ड्राइव में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया व नीति आयोग के सदस्य डॉ बी के पॉल ने भी खुद को वैक्सीनेट करवाया है।
लेकिन फिर भी कांग्रेस को इस वैक्सीन पर यकीन नहीं है। देश के हर राज्य में टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है और कोरोना की स्थिति में भी लगातार सुधार हो रहा है। इसपर विपक्ष को खुश होना चाहिए लेकिन वह सरकार पर आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहा है। कांग्रेस को समझना चाहिए कि उनका तंज़ सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि वैक्सीन बनाने में लगे वैज्ञानिकों का भी अपमान है।