देशभर में इस वक्त के सबसे चर्चित मुद्दे किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का रुख सामने आया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने सरकार से प्रश्न किया है कि कृषि कानून पर रोक सरकार लगाएगी या फिर कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ेगा। हाई कोर्ट सरकार के रवैया से नाराज है। कोर्ट का कहना है कि दिन-ब-दिन लोग मर रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं, घंटों लंबा जाम लग रहा है, लेकिन फिर भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के रवैए से नाराज नजर आ रहा है। दरअसल मामला यह है कि कृषी कानूनों की वैधता को एक किसान संगठन ने चुनौती दी है। उस चुनौती के अनुसार कृषि संबंधी विषय राज्यों के अधीन आते हैं और केन्द्र सरकार को इस मामले में कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाना चाहिए। इसी चुनौती पर सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल किए। फिलहाल सुनवाई पूरी की जा चुकी है और फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है आज या कल में इस पर कोई आदेश आने की संभावना है।
कोर्ट ने आशंका जताई है कि आंदोलन कभी भी उग्र दंगों का रूप ले सकता है। यदि इस कानून पर कोर्ट स्टे का ऑर्डर भी दे तो भी यह आंदोलन जारी रहेगा और संभव है कि दंगे हो। आंदोलन में किसी भी दिन हिंसा भड़के तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने बल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के संदर्भ में कहा है कि यदि वे आंदोलन जारी रखना चाहते हैं तो रख सकते हैं, लेकिन वह सिर्फ एक बात बताएं कि क्या वे आम लोगों के लिए रास्ता खोलेंगे या नहीं।
उच्च न्यायालय में इस बात को लेकर बहस चल रही थी कि यह कानून केन्द्र के द्वारा पारित किया जाना मौलिक रूप से सही है या नहीं। लेकिन इस बीच न्यायालय को चिंता किस बात की है कि आंदोलन बहुत नुकसान कर सकता है और साथ ही बहुत ही जाने भी ले सकता है। इसके लिए जिम्मेदारी किसकी होगी। इसलिए न्यायालय ने केंद्र से इस मामले पर स्टे लगाने के बारे में राय जाननी चाही है।