प्रेम मंदिर भारत के मथुरा के वृंदावन में एक हिंदू मंदिर है। इसे जगद्गुरु कृपालु परिषद, एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी, शैक्षिक, आध्यात्मिक, धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा बनाए रखा गया है। यह परिसर वृंदावन के बाहरी इलाके में 55 एकड़ की साइट पर है, और पहले स्तर पर भगवान राधा कृष्ण और सीता राम, राधा कृष्ण और दूसरे स्तर पर सीता राम को समर्पित है। मंदिर की संरचना पांचवें जगदगुरु कृपालु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। भगवान के अस्तित्व के इर्द-गिर्द महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाने वाले श्री कृष्ण और उनके अनुयायियों के आंकड़े मुख्य मंदिर को कवर करते हैं।
निर्माण जनवरी 2001 में शुरू हुआ और उद्घाटन समारोह 15 फरवरी से 17 फरवरी 2012 तक हुआ। मंदिर 17 फरवरी को सार्वजनिक रूप से खोला गया। लागत 150 करोड़ रुपये थी। पीठासीन देवता श्री राधा गोविंद (राधा कृष्ण) और श्री सीता राम हैं। प्रेम मंदिर के बगल में 73,000 वर्ग फुट, स्तंभ-कम, गुंबद के आकार का सत्संग हॉल का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें एक समय में 25,000 लोग बैठेंगे। सुंदर उद्यानों और फव्वारों से घिरे, मंदिर परिसर में श्री कृष्ण की चार लीलाओं के जीवन-चित्रण हैं – झूलन लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला और कालिया नाग लीला।
यह भक्ति मंदिर का मंदिर है जिसे 2005 में खोला गया था और दूसरा बहन मंदिर जिसे कीर्ति मंदिर के नाम से जाना जाता है, बरसाना 2019 में खोला गया।
वृंदावन में 54 एकड़ में बना यह प्रेम मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लंबा और 115 फुट चौड़ा है। इसमें हरियाली भरे बगीचे, फव्वारे, श्रीकृष्ण और राधा की मनोहर झांकियां, श्रीगोवर्धन धारण लीला, कालिया नाग दमन लीला, झूलन लीलाएं दिखाई गई हैं। यहां संगमरमर की चिकनी पट्टियों पर श्री राधा गोविंद के सरल दोहे लिखे गए हैं, जिससे इन्हें भक्त आसानी से पढ़ और समझ सकें।
बाहरी दीवारों पर मथुरा एवं द्वारका की लीलाएं क्रमबद्ध रूप से चित्रित हैं। कुब्जा-उद्धार, कंस-वध, देवकी-वसुदेव की कारागृह से मुक्ति, सान्दीपनी मुनि के गुरुकुल में जाकर कृष्ण-बलराम का विद्याध्ययन, रुक्मिणी-हरण, सोलह हजार एक सौ आठ रानियों का वर्णन, नारद जी द्वारा श्रीकृष्ण की गृहस्थावस्था के दर्शन, श्रीकृष्ण का अपने अश्रुओं द्वारा सुदामा के चरण पखारना, सुदामा एवं उनके परिवार का एक रात्रि में काया-पलट, कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण का गोपियों से पुनर्मिलन, रुक्मिणी आदि द्वारिका की रानियों का श्रीराधा एवं गोपियों के साथ मिलन, श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को अंतिम उपदेश एवं दर्शन तत्पश्चात स्वधाम-गमन आदि लीलाएं भी चित्रित की गई हैं।
मुख्य आकर्षण – Key Highlights
- 30,000 टन इटली के करारा संगमरमर का निर्माण किया।
- 125 फीट ऊंचा, 122 फीट लंबा और 115 फीट चौड़ा है।
- 150 गोल खंभो पर खड़ा संपूर्ण आधार हैं।
- 9 सुंदर नक्काशीदार गुंबदों के साथ सजाया गया।
- 17 सुनहरे रंग के कलश और सबसे ऊपर लहराता एक भव्य ध्वज।
- नागरा वास्तुकला के आधार पर बनाया गया।
- झूलन लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला और कालिया नाग लीला।
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