वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बजट में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में न्यूनतम वेतन वृद्धि को लेकर कुछ नहीं कहा। सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद थी कि जेटली बजट के भाषण में न्यूनतम वेतन और फिटन फैक्टर में वृद्धि की घोषणा कर सकते है। लेकिन जेटली ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अलावा इसे लेकर कुछ भी नहीं कहा।
हालांकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन में वृद्धि को लेकर प्रतिबद्ध है। लेकिन अब ये मांग कब पूरी होगी इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। सरकारी कर्मचारियों को आशा थी कि वेतन बढोतरी के लिए सरकार अलग से फंड आवंटित करने की घोषणा कर सकती है। लेकिन बजट में इस तरह की कोई भी घोषणा नहीं की गई।
नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के प्रमुख शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि अरूण जेटली का पेश किया हुआ बजट पिछले 60 सालों में सबसे कमजोर व निराशाजनक है। मिश्रा सातवें वेतन आयोग मे न्यूनतम वेतन वृद्धि के लिए लड़ रहे है।
मिश्रा ने कहा कि बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी उम्मीद कर रहे थे कि केन्द्र सरकार न्यूनतम वेतन में वृद्धि, फिटमेंट फॉर्मूले में बदलाव और नई पेंशन योजना की घोषणा कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
फिलहाल सातवें वेतन आयोग के अनुसार सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह जबकि अधिकतम वेतन 2.5 लाख रूपये प्रतिमाह है। अब न्यूनतम वेतन को 18,000 से बढाकर 26000 रूपये किए जाने की मांग की जा रही है। 30 जून 2016 को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने केंद्र सरकार के कर्मचारी संघों को आश्वासन दिया था कि न्यूनतम वेतन बढ़ाने की उनकी मांग पर शीघ्र विचार किया जाएगा।