दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा एक-एक कड़ी को जोड़कर जीत का रास्ता ढूंढ़ रही है। इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के नेतृत्व में हर स्तर पर योजना बनाई गई है, ताकि कहीं कोई चूक न रह जाए।
सांसदों, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की फौज चुनावी मैदान में उतारने के बाद भाजपा ने क्षेत्रवार मतदाताओं को साधने के लिए बड़ी योजना बनाई है। दिल्ली में विभिन्न राज्यों से संबंध रखने वाले मतदाताओं की बड़ी संख्या है। उन्हें साधने के लिए अलग-अलग तरीके से रणनीति बनाई गई है। विभिन्न राज्यों के मतदाताओं के लिए अलग-अलग नेताओं ने अपनी योजना तैयार की है।
दिल्ली में पूर्वांचली और जाटों के बाद दक्षिण भारत के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। तकरीबन 12 लाख मतदाता दक्षिण भारत के बताए जा रहे हैं। ऐसे में इन बिखरे हुए वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने दक्षिण भारत के अपने 42 सांसदों के साथ लगभग 100 बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है।
हर सांसद को इन मतदाताओं वाले क्षेत्र में हर दिन छह कार्यक्रम करने को कहा गया है। अमित शाह का सख्त निर्देश है कि एक कार्यक्रम में 50 से 75 लोग से ज्यादा न हो और जो भी नेता इस कार्यक्रम में जाए, वह हर आदमी से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करे और भाजपा के पक्ष में उनका समर्थन हासिल करे।
दिल्ली के करोल बाग, संगम विहार, पुष्प विहार, ग्रेटर कैलाश के साथ ही रोहिणी जैसे इलाकों में दक्षिण भारतीय लोगों की संख्या ज्यादा है। इन क्षेत्रों में दक्षिण से संबंध रखने वाले भाजपा नेताओं की ड्यूटी लगाई गई है। भाजपा नेताओं को कहा गया है कि इन क्षेत्रों में डोर टू डोर अभियान चलाया जाए।
दक्षिण भारतीय लोगों के बीच अभियान के लिए बड़ी संख्या में दक्षिण की अभिनेत्रियों को भी काम पर लगाया गया है। दिल्ली के चुनावी अभियान में शामिल दक्षिण भारतीय फिल्मों की अभिनेत्री रेशमा राठौड़ का कहना है कि यह पहली बार है जब पार्टी ने इस तरह की रणनीति बनाई है।
उन्होंने कहा, “मंगलवार को राजेंद्र नगर में हमारी टीम ने प्रचार किया था। बुधवार को आर. के. पुरम जाना है। 10-10 नेताओं की टोली बनाई गई है। पार्टी ने 10 दिनों तक प्रचार करने को कहा है।” यह पूछे जाने पर कि क्या आप लोगों के प्रचार का प्रभाव पड़ रहा है, इस पर रेशमा ने कहा कि लोग भाजपा को पसंद करने लगे हैं।
इसी तरह का प्लान भाजपा ने जाट और सिख वोटरों को लुभाने के लिए भी बनाया है। भाजपा का मानना है कि पार्टी अगर इन वोटरों को साधने में सफल रही तो जीत हासिल की जा सकती है।