पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि उनके देश को सैद्धांतिक आधार पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बाहर आना चाहिए, क्योंकि उसने एफएटीएफ के लिए जरूरी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। डॉन न्यूज के अनुसार, पाकिस्तान को फरवरी में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने की उम्मीद है।
एफएटीएफ ने 2018 में निर्णय लिया था कि पाकिस्तान धन शोधन और टेरर फंडिंग (आतंकवाद का वित्त पोषण) के खिलाफ पर्याप्त कदम उठाने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ ने इसके बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया।
पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाले जाने से उस पर आर्थिक प्रतिबंध लग गए हैं।
एफएटीएफ ने अक्टूबर 2019 में एक बैठक में पाकिस्तान द्वारा धन शोधन और टेरर फंडिंग के खिलाफ उठाए गए कदमों की समीक्षा की थी।
बैठक में हालांकि पाया गया कि पाकिस्तान को इस दिशा में और कदम उठाने होंगे और अपने निर्णय की समीक्षा करने के लिए इस साल फरवरी में बैठक करने का निर्णय लिया।
कुरैशी ने शुक्रवार को मुल्तान में कहा कि हाल ही में बीजिग में हुई एफएटीएफ की बैठक में ‘पाकिस्तान ने अपना रुख प्रस्तुत किया। हमने सदस्य देशों के समक्ष वे सभी कदम प्रस्तुत किए, जो हमने पिछले 10 महीनों में उठाए थे।’
मंत्री ने कहा, “और मैं यह बताते हुए खुश हूं कि सभी ने हमारे कदमों की सराहना की और कहा कि पिछले 10 महीनों में की गई प्रगति पिछले 10 सालों में की गई प्रगति से भी ज्यादा है।”