चीन में फैल रहे नोवेल कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एमरजेंसी कमेटी ने एक अहम मीटिंग की है। इस बैठक में चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड व सिंगापुर के प्रतिनिधि शामिल हुए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में बताया गया है कि नोवेल कोरोना वायरस से ग्रसित रोगियों में से 25 प्रतिशत रोगियों की स्थिति गंभीर है। जहां चीन में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं सिंगापुर में भी अब नोवेल कोरोना वायरस का एक नया मामला सामने आया है।
डब्लूएचओ के महानिदेशक टेडरोस ने नोवेल कोरोना वायरस को लेकर कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस को स्वास्थ्य मामलों के लिहाज से अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति घोषित नहीं किया जा रहा है। डब्लूएचओ प्रमुख ने माना कि कोरोना वारयस चीन के लिए जरूर एक आपातकालीन स्थिति है लेकिन पूरे विश्व के लिए यह स्वास्थ्य के लिहाज से आपातकालीन स्थिति नहीं है।
गुरुवार की रात डब्लूएचओ की एमरजेंसी कमेटी की बैठक में चीन, जापान, कोरिया और थाईलेंड के स्वास्थ्य मंत्रालयों के प्रतिनिधि पहुंचे। इन चारों राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने-अपने देशों में नोवेल कोरोना को काबू करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी डब्लूएचओ को दी है।
डब्लूएचओ के मुताबिक चीन के वूहान प्रांत में नोवेल कोरोना वायरस के फोर्थ जेनेरेशन के केस सामने आए हैं। वहीं वूहान प्रांत से बाहर के राज्यों में यह केस सेंकड जेनेरेशन के हैं। डब्लूएचओ ने इस बैठक की जानकारी भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग के साथ भी साझा की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नोवेल कोरोना वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में फैल रहा है या नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन, जापान, सिंगापुर, थाईलैंड व कोरिया स्थित अपने विभिन्न केंद्रो को और अधिक सर्तकता बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इन केंद्रों को वहां की सरकारों व स्वास्थ्य विभाग के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करने को भी कहा गया है। डब्लूएचओ का कहना है कि सभी प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त सहायता पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नोवेल कोरोना वायरस को लेकर एशिया के सभी देशों समेत विश्व के कई देशों को सर्तकता बरतने को कहा है। इसके चलते भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोरोना वायरस की पहचान व रोकथाम के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की एमरजेंसी कमेटी 10 दिन के भीतर संबंधित राष्ट्रों के साथ दोबारा मीटिंग करेगी। इस मीटिंग में इन राष्ट्रों की आवश्यकता अनुसार उन्हें जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।