भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है। यहां पर जनता को सर्वोपरि माना जाता है। लेकिन भारतीय लोकतंत्र सूचकांक की बात की जाए तो भारत इसमें 10 अंक नीचे होकर 42 वें पायदान पर आ पहुंचा है। द इकोनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा जारी रैंकिंग के मुताबिक भारत पिछले साल जहां 32 वें स्थान पर था, अब वह 42 स्थान पर आ पहुंचा है।
इसके पीछे कारण मोदी सरकार के नेतृत्व में अल्पसंख्यकों पर हिंसा बढ़ना, गौहत्या व धार्मिक भेदभाव बढ़ने को माना जा रहा है। नॉर्वे, आइसलैंड और स्वीडन इस सूची में शीर्ष तीन पर है। इंडोनेशिया पिछले साल जहां 48वे स्थान पर था अब वो 68वें स्थान पर पहुंच गया है।
लोकतंत्र सूचकांक 2017 शीर्षक वाली रिपोर्ट ने भारत को एक दोषपूर्ण लोकतंत्र के रूप में वर्गीकृत किया है। मीडिया की स्वतंत्रता की कमी के कारण भारत की रैंकिंग में गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश पत्रकारों की स्थिति विशेषकर छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में अधिक खतरनाक है।
प्रेस पर दबाव व पत्रकारों पर अत्याचार का उल्लेख
अधिकारियों के द्वारा लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। अखबारों को भी बड़े पैमाने पर बंद किया गया है। साल 2017 में कई पत्रकारों की हत्या भारत में की गई है। मीडिया आजादी के संबंध में भारत को इस सूची में 49 वां स्थान दिया गया है।
इसमें मीडिया को ‘आंशिक रूप से मुक्त’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत के 10 अंक नीचे फिसलने का कारण मुख्य रूप से मीडिया के कामकाज को सरकारों द्वारा हस्तक्षेप करना माना जा रहा है। भारत पिछली साल की तरह ही अपूर्ण लोकतंत्र के वर्ग में बना हुआ है।