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    सर्दियां धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं और मौसम वंसत ऋतु की ओर मुड़ रहा है और इसी के साथ यहां के डिग्गी पैलेस में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) ने कई सारे नए विचारों, मुद्दों, संवादों और दृष्टिकोणों के साथ अपनी वापसी की है।

    जयपुर साहित्य उत्सव का शुभारंभ 23 जनवरी से हो रहा है और यह 27 जनवरी तक जारी रहेगा। इस बार इसमें कई रोचक व मजेदार सत्र होंगे जिनमें कुछ ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर चर्चाएं होती रही हैं, जैसे कि कश्मीर मुद्दा, भारतीय संविधान, विवेकानंद, सावरकर और पटेल।

    समारोह में टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय रॉय ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में जेएलएफ का बहुत महत्व है जब अंध-राष्ट्रीयता का दुनिया में शासन है।

    जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक नमिता गोखले ने आईएएनएस को बताया, “13 साल पहले जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब से हमने जयपुर साहित्य उत्सव में अपने बहुभाषी संस्कृति को आवाज देने की कोशिश की है। हम एक ऐसे राष्ट्र के निवासी हैं जिसे विविधता से परिभाषित किया जाता है और यह हमारे दृष्टिकोणों, विचारों और भावनाओं को प्रस्तुत करने का एक प्रयास है जो साथ में मिलकर वर्तमान सोच का प्रतिनिधित्व करता है।”

    उन्होंने आगे कहा, “हम अपने पैनल में आपसी समझ और सम्मान चाहते हैं। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि अक्सर परस्पर विरोधी विचारों को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाए व उन्हें सुना जाए। हम पूर्वानुमेय और अभिमानी पुरुष पैनलों का भी विरोध करते हैं और इस बात को सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि हमारे इन कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं की आवाजें भी प्रतिध्वनित हो।”

    रॉय ने आगे यह भी कहा कि जयपुर इस महोत्सव के लिए उपयुक्त है, क्योंकि यह शहर उत्सव की आत्मा से मेल खाता है।

    उन्होंने कहा, “जैसा कि इस शहर की हर एक गली की बताने लायक अपनी एक कहानी है, जयपुर इस उत्सव के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान रहा है। एक शहर के तौर पर यहां की गर्मजोशी और मेहमाननवाजी न केवल इस महोत्सव को स्वीकार करता है, बल्कि इसका प्रचार भी कर रहा है।”

    उत्सव में 550 वक्ता भाग लेंगे जिनमें से 120 पुरस्कार विजेता वक्ता रह चुके हैं।

    इसके साथ ही नमिता ने आखिर में कहा, “एक बार फिर से दुनिया जयपुर में होगी और जयपुर में पूरी दुनिया।”

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