वर्तमान में भारत व अफगानिस्तान के बीच काफी मजबूत संबंध बने हुए है। भारत अपने पडोसी देश अफगानिस्तान के विकास के लिए लगातार निवेश कर रहा है और आर्थिक मदद भी दे रहा है। पिछले कुछ दिनों में अफगान को आतंकवाद से लगातार जूझना पड़ रहा है। आतंकवादी हमलो में पिछले दिनों करीब सैकडों निर्दोष लोगों की जान गई है।
अफगानिस्तान ने आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तान व आईएसआई को दोषी बताया है। इसी बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच में फोन पर बातचीत हुई है। इस दौरान पीएम मोदी ने काबुल में हुए आतंकी हमलों पर संवेदना जाहिर करते हुए हरसंभव मदद करने का विश्वास दिलाया।
आतंकवाद के ऊपर कठोर कार्रवाई करने पर भी दोनों नेताओं ने जोर दिया। विभिन्न रिपोर्टों ने दावा किया था कि पाकिस्तानी पीएम शाहिद खाकन अब्बासी से फोन पर वार्ता करने के लिए अफगान राष्ट्रपति ने इंकार कर दिया था। जिसके बाद ही अफगान राष्ट्रपति व पीएम मोदी के बीच में फोन पर वार्ता की गई।
इससे साफ संकेत पाकिस्तान को दिया गया है कि अफगान ,भारत को प्राथमिकता देते हुए मजबूत संबंधों को जारी रखना चाहता है। पीएम मोदी और गनी के बीच 20 मिनट की बातचीत के दौरान नई दिल्ली और काबुल की “साझा चिंता” पर चर्चा की गई।
पाकिस्तान के ऊपर अफगान का आतंकी हमला कराने का आरोप
अशरफ गनी ने ट्वीट करके कहा कि फोन पर पीएम मोदी ने पड़ोस (पाकिस्तान) में स्थित आतंकवादी समूहों व सुरक्षित पनाहगारों को खत्म करने की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही निर्दोष मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इससे साबित होता है कि पाकिस्तान का चेहरा आतंकवाद की शह देने पर बेनकाब होता नजर आ रहा है।
भारत, अफगानिस्तान व अमेरिका कई बार पाकिस्तान के ऊपर आतंकवाद को शह देने का आरोप लगा चुके है। काबुल हमलों में पाकिस्तान का हाथ होने का सबूत देने के लिए अफगानिस्तान मे अपना प्रतिनिधिमंडल भी इस्लामाबाद में भेजा है।