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    हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृहमंत्री अनिल विज के बीच अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को लेकर रस्साकशी चल रही है। इस बीच विज ने मांग की है कि हरियाणा के सीआईडी प्रमुख अनिल राव को हटाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया जाना चाहिए। मंगलवार को पता चला कि राव से नाखुश विज ने प्रभावहीनता, अवहेलना और कर्तव्य न निभाने के कारण गृह सचिव से राव को हटाने के लिए कहा है।

    खट्टर को लिखे पत्र में विज ने कहा कि सीआईडी प्रमुख ने उन्हें राज्य की मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं दी है।

    विज ने मांग की कि राव की जगह सीआईडी प्रमुख की कमान श्रीकांत जाधव को सौंपी जानी चाहिए, जो एक अन्य वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं।

    2016 में जाट आरक्षण हिंसा के दौरान लापरवाही के लिए जाधव को पिछली भाजपा सरकार ने निलंबित कर दिया था। बाद में उन्हें तकनीकी आधार पर बहाल कर दिया गया।

    सीआईडी के नियंत्रण को लेकर खट्टर और विज के बीच पहले से ही वर्चस्व की लड़ाई चल रही है।

    खट्टर ने कई बार स्पष्ट किया है कि दशकों से चली आ रही प्रथा के तहत सीआईडी मुख्यमंत्री के अधीन रहा है न कि गृहमंत्री के अधीन।

    यहां तक कि आधिकारिक वेबसाइट से भी पता चलता है कि खट्टर के पास कुल 17 विभाग हैं, जिनमें सीआईडी भी शामिल है।

    लेकिन विज का मानना है कि सीआईडी गृह विभाग का हिस्सा है और उन्होंने कई मौकों पर इसकी कार्यप्रणाली पर नाराजगी दिखाई है।

    उन्होंने हाल ही में सीआईडी के कामकाज में सुधार के लिए गृह सचिव विजय वर्धन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।

    अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि हरियाणा सरकार में नियम के मुताबिक सीआईडी को गृह विभाग के हिस्से के रूप में दर्शाया गया है।

    लेकिन नियम बताता है कि सीआईडी से संबंधित महत्वपूर्ण मामले मुख्य सचिव के माध्यम से किए जाने हैं, गृह सचिव के नहीं।

    अब यह देखना है कि मुख्यमंत्री सीआईडी प्रमुख के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं या नहीं।

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