Wed. Nov 20th, 2024

    झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के प्रमुख बाबूलाल मरांडी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने की स्थिति में झाविमो के शेष दो विधायकों के अलग-अलग रास्ते पर जाने के कयास लगाए जाने लगे हैं। झाविमो के विधायक बंधु टिर्की और प्रदीप यादव इसके संकेत भी दे चुके हैं। हालांकि झाविमो के सूत्रों का कहना है कि मरांडी अपने साथ दोनों विधायकों को साथ रखने की कोशिश में जुटे हैं।

    बाबूलाल मरांडी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने की राह आसान नहीं दिखती। सूत्रों का कहना है कि मरांडी अगर भाजपा के साथ जाते हैं कि उनके विधायक भी अलग राह चुनने के लिए तैयार बैठे हैं। दीगर बात है कि झाविमो के कार्यकर्ता और संगठन में रहे नेता मरांडी पर अपना विश्वास जता रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य को बाबूलाल मरांडी की जरूरत है और ऐसे में उनका जो भी फैसला होगा वे उनके साथ होंगे।

    सूत्रों का कहना है कि पार्टी के विधायक बंधु टिर्की और प्रदीप यादव बाबूलाल मरांडी का साथ छोड़ कांग्रेस में जाने की तैयारी में जुट गए हैं।

    बंधु टिर्की पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि वे किसी भी हाल में भाजपा में नहीं जाएंगे। वे कांग्रेस में जाने से इंकार भी नहीं करते। टिर्की आईएएनएस से कहते हैं कि पार्टी कार्यकारिणी समिति भंग है और अगर अध्यक्ष इसका पुर्नगठन करते हैं तो वे इसका स्वागत करेंगे।

    उन्होंने कहा कि अटकलों पर कोई जवाब नहीं दिया जा सकता। अगर पार्टी प्रमुख कहीं जाएंगें तब वे भी कुछ सोचेंगे। उन्होंने हालांकि इशारे में जरूर कहा कि अगर धुआं है तो विलय की आग भी कहीं जल रही होगी।

    सूत्रों का दावा है कि झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भाजपा में जाने का मन बना चुके हैं। झाविमो विधायक प्रदीप यादव पार्टी के विलय के पक्ष में नहीं हैं जबकि विधायक बंधु टिर्की भी किसी सूरत में भाजपा में जाने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे झाविमो में किचकिच बढ़ सकती है।

    सूत्रों की मानें तो पार्टी में किचकिच बढ़ी तो बाबूलाल मरांडी विधायक पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं।

    फिलहाल इस पूरे प्रकरण में बाबूलाल मरांडी की चुप्पी से उहापोह बरकरार है। बाबूलाल के मौजूदा रुख पर प्रदीप यादव ने दो टूक कहा कि ‘बाबूलाल की बातें बाबूलाल ही जानें।’ यादव हालांकि यह स्वीकार करते हैं कि पार्टी विलय की दिशा में आगे बढ़ रही है।

    बहरहाल झाविमो के विलय की बात और उसके अस्तित्व को लेकर पार्टी के भीतरखाने चर्चाओं का बाजार गर्म है। उल्लेखनीय है कि पांच जनवरी को झाविमो की कार्यसमिति भंग हो चुकी है। अब पार्टी का विलय होगा अथवा नए सिरे से कार्यसमिति बनेगी, कार्यकर्ता असमंजस में हैं।

    उल्लेखनीय है कि झाविमो ने हालिया विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *