बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एक बार फिर कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का सवाल ही पैदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि यह तो केवल असम को लेकर चर्चा में था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे स्पष्ट कर चुके हैं।
बिहार विधानसभा में संसद द्वारा संविधान के 126वें संशोधन को अनुसमर्थन दिए जाने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में नीतीश ने जातिगत जनगणना कराए जाने का समर्थन करते हुए कहा, “हम भी चाहेंगे कि जातिगत जनगणना हो। जातिगत जनगणना 1930 में हुई थी, उसके बाद नहीं हुई है। इस जनगणना से स्पष्ट हो जाएगा कि कितने लोग किस जाति के रहते हैं।”
कई सदस्यों द्वारा सीएए और एनपीआर के मुद्दे पर बहस की मांग पर नीतीश ने कहा कि “अगर सभी लोग चाहते हैं तो बिहार विधानसभा में हम विशेष रूप से चर्चा करेंगे। हम किसी भी विषय पर चर्चा को तैयार हैं।”
उन्होंने कहा, “जहां तक एनआरसी का सवाल है तो इसे लागू करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। यह असम को लेकर चर्चा में था। इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी अपनी बात स्पष्ट कर चुके हैं।”
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का नीतीश की पार्टी जद(यू) ने लोकसभा और राज्यसभा में समर्थन किया था। इस पर हालांकि पार्टी में कलह शुरू हो गई थी।
इससे पूर्व विपक्ष के सदस्यों ने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के पूर्व सदन से बाहर सीएए, एनआरसी को लेकर जमकर नारेबाजी की।