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    बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मयावती ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्षा सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में उनकी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी। उन्होंने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा द्वारा राजस्थान की कांग्रेस सरकार को बाहर से दिए गए समर्थन के बावजूद उन्होंने वहां पार्टी को तोड़ा है।

    मयावती ने साथ ही केंद्र सरकार से अपील की है कि वह विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में संशोधन करे।

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर मयावती ने कहा, “जैसा कि विदित है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बसपा द्वारा बाहर से समर्थन दिए जाने पर भी, उन्होंने दूसरी बार वहां बसपा विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है। यह पूरी तरह से विश्वासघात है।”

    उन्होंने आगे कहा, “ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज (सोमवार को) बुलाई गई विपक्ष की बैठक में बसपा का शामिल होना राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बसपा इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।”

    बसपा सुप्रीमो ने कहा, “वैसे भी बसपा सीएए/एनआरसी आदि के विरोध में है। केंद्र सरकार से पुन: अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापस ले। साथ ही, जेएनयू व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण।”

    उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब सोनिया गांधी ने सीएए, एनआरसी और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में विद्यार्थियों पर हुए हमलों के मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है।

    विपक्ष में मतभेद के संकेत कुछ दिन पहले उस वक्त मिल गए थे, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा था कि वह इस बैठक में शामिल नहीं होंगी।

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