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    पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैक लिस्ट में जाने से बचने और ग्रे लिस्ट से निकलने की कवायद के तहत एफएटीएफ की प्रश्नावली पर उसे अपने जवाब बुधवार रात भेज दिए। आतंक वित्त पोषण पर लगाम लगाने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान को एफएटीएफ के कड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है।

    एफएटीएफ ने पाकिस्तान के लिए अनिवार्य किया था कि वह उसके सवालों के जवाब उसे आठ जनवरी 2020 तक भेज दे। आतंक वित्त पोषण व धनशोधन पर लगाम लगाने तथा आतंकवाद में संलिप्त लोगों व संस्थाओं के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने के कारण पाकिस्तान पर एफएटीएफ की काली सूची में जाने का खतरा मंडरा रहा है।

    पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, एफएटीएफ ने पाकिस्तान से आठ जनवरी तक डेढ़ सौ सवालों पर जवाब तलब किया था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों पर कार्रवाई करने को कहा हुआ है और इन संगठनों पर दर्ज मामलों की प्रतियां पाकिस्तान से मांगी हैं।

    एफएटीएफ ने इसके साथ ही धार्मिक मदरसों के बारे में उठाए गए कानूनी कदमों, धनशोधन के खिलाफ की गई कार्रवाइयों, धन के स्थानांतरण और आतंकियों की संपत्तियों से संबंधित जानकारी भी मांगी है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ को सभी मुद्दों पर जवाब भेजा है। साथ ही, बताया है कि आतंकवादियों को धन स्थानांतरण के सात सौ मामलों में जांच जारी है। उसने बताया है कि प्रतिबंधित संगठनों को धन मुहैया कराने के लिए 190 लोगों पर कार्रवाई की गई है, ऐसे धन स्थानांतरण के उपाय करने वाले 170 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और प्रतिबंधित संगठनों की एक हजार से अधिक संपत्तियों को जब्त किया गया है।

    अब एफएटीएफ का संयुक्त समूह बीजिंग में 21 से 24 जनवरी तक होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान के जवाबों की समीक्षा करेगा। पाकिस्तान के एफएटीएफ की ग्रे सूची में रहने या इससे निकलने या फिर काली सूची में जाने पर फैसला एफएटीएफ की फरवरी 2020 में होने वाली बैठक में हो सकता है।

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