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    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का छह दिन का इंदौर प्रवास खास मकसद को लेकर था, उन्होंने इस प्रवास के दौरान अखिल भारतीय स्तर से यहां पहुंचे पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को गांव में ज्यादा से ज्यादा सक्रिय होने का संदेश दिया। इसकी शुरुआत नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में माहौल बनाकर की जाएगी, साथ ही दलितों और महिलाओं के बीच पैठ बनाने पर भी संघ ने रणनीति बनाई।

    संघ प्रमुख मोहन भागवत 2 जनवरी को इंदौर पहुंचे थे। उन्होंने अपने इस प्रवास के दौरान तीन दिन तक जहां देश के विभिन्न हिस्सों से आए संघ के पदाधिकारी व प्रतिनिधियों से चर्चा की, वहीं अनुषांगिक संगठनों से जुड़े लोगों से संवाद किया। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों से चर्चा की।

    संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ प्रमुख के इस प्रवास के दौरान मुख्य रूप से सीएए को लेकर देशभर में उपजे भ्रम पर चर्चा हुई और इस भ्रम को कैसे खत्म किया जाए, इस पर विचार विमर्श किया गया। तय किया गया है कि संघ अपने स्तर पर बौद्धिक कार्यक्रमों का आयोजन कर भ्रम को मिटाने का काम करेगा। साथ ही यह बताया जाएगा कि यह कानून तो कांग्रेस भी लाना चाहती थी, मगर राजनीतिक लाभ के लिए वह इसका विरोध कर रही है।

    संघ की कई चरणों में हुई बैठक में तय किया गया है कि तमाम पदाधिकारी और प्रचारक अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा प्रवास करेंगे, दलित, युवा और महिलाओं से संवाद का सिलसिला बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही, गांव पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।

    संघ का मानना है कि शहरी इलाकों में संघ अपनी बात तो आसानी से पहुंचा लेता है, मगर ग्रामीण इलाकों में ऐसा पाना संभव नहीं हो पा रहा है, इसलिए गांवों में बैठकों के साथ शाखाओं की संख्या भी बढ़ाई जाए।

    इस बैठक के दौरान राम मंदिर निर्माण और इसी साल दिल्ली व बिहार मेंहोने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

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