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    प्रदूषण

    पर्यावरण एनजीओ ग्रीनपीस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सबसे अधिक प्रदूषित राज्य है। जबकि कर्नाटक का हसन शहर सबसे कम प्रदूषण वाली सिटी है। यहां की हवा सबसे साफ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 47% से अधिक आबादी अभी भी ऐसे क्षेत्रों में रह रही है जहां पर वायु की गुणवत्ता की जांच तक नहीं की जाती है।

    ग्रीनपीस शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय हवाई गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 280 शहरों के लिए पीएम 10 (मोटे प्रदूषण कणों) की वार्षिक औसत का विश्लेषण किया है। इसके तहत भारत के 280 शहरो में प्रदूषित हवा का स्तर मापा गया है। जिसमें दिल्ली की हवा को सबसे प्रदूषित बताया है। 280 शहरों में देश की करीब 63 करोड़ जनसंख्या रहती है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 63 करोड़ में से 55 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्र में रहते है जहां पीएम 10 का स्तर राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक है। वहीं इसमें से 18 करोड़ लोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा तय सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से दोगुने ज्यादा प्रदूषण स्तर वाले इलाके में रहते है।

    रिपोर्ट के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के करीब 4 करोड़ 70 लाख बच्चे उन क्षेत्रों में रहते है, जहां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय मानक से पीएम 10 का स्तर अधिक है। इसमें 1 करोड़ 70 लाख वे बच्चे भी शामिल है, जो कि तय मानक से दोगुने पीएम 10 स्तर वाले क्षेत्र में निवास कर रहे है। इन क्षेत्रों में क्रमशः उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र व दिल्ली आते है।

    ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर प्रमोटर सुनील दहिया के मुताबिक जिलों में रहने वाले केवल 16% आबादी में ही वास्तविक समय वायु गुणवत्ता के आंकड़े उपलब्ध है।

    दिल्ली मे पीएम 10 के मानक से करीब चार से सात गुना के बीच में प्रदूषण का स्तर है। अगर औसत पीएम 10 स्तर के आधार पर रैंकिग की बात करे तो साल 2016  में दिल्ली 290 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ शीर्ष पर बना हुआ है।