देश में कर्ज को बढ़ावा देने की बात कहना जितना आसान है, यह करना उतना ही कठिन है और बड़े खर्च संबंधी वित्तीय प्रोत्साहन के बगैर कर्ज की मांग में सुधार असंभव है। ब्रोकिंग हाउस, मोतीलाल ओसवाल ने मंगलवार को यह बात कही। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है, “बड़े खर्च वाले राजकोषीय प्रोत्साहन के अभाव में क्रेडिट मांग में सुधार करना संभव नहीं है। जब तक कि सार्वजनिक क्षेत्र की उधारी आवश्यकताओं (पीएसबीआर) और केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2018-19 के जीडीपी के 9 फीसदी से ज्यादा नहीं हो जाता।”
रपट में कहा गया, “जैसा कि हमने पहले भी तर्क दिया है, हमें विश्वास नहीं है कि भारत में राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए कोई आवश्यकता या स्थान है। हमारे अनुमानों के आधार पर गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) क्षेत्र 2019-20 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 6.4 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया।”