केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन बच्चों के माता-पिता को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के माध्यम से नागरिकता दी गई है, उन्हें उनके परिवारों से अलग नहीं किया जाएगा और उन्हें असम के डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष पेश हुए असम एनआरसी से बाहर रखे गए लगभग 60 बच्चों के परिवारों की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि एनआरसी प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेजों को दिखाने के बावजूद बच्चों को बाहर रखा गया है, जबकिउनके माता-पिता को शामिल किया गया है।
शीर्ष अदालत में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने स्पष्ट किया कि असम में उन बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा, जिनके माता-पिता को एनआरसी के माध्यम से नागरिकता प्रदान की गई है।
वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि 19 लाख लोगों को अंतिम एनआरसी सूची से बाहर रखा गया है।
शीर्ष अदालत ने एनआरसी के बाद बच्चों को डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने का आरोप लगाते हुए दर्ज की गई अपील पर केंद्र और असम को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने असम सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि नवनियुक्त एनआरसी समन्वयक अपनी कुछ विवादित फेसबुक पोस्ट पर स्पष्टीकरण दें या इन्हें हटाएं।