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    पाकिस्तान से संबद्ध जासूसी के गिरोह का मामला अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास पहुंच गया है। इस मामले के तहत नौसेना के सात अधिकारियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को संवेदनशील जानकारी देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, “यह मामला आंध्र प्रदेश पुलिस के पास था और अब गृह मंत्रालय ने इसे एनआईए को सौंप दिया है।”

    भारतीय खुफिया एजेंसियों ने 20 दिसंबर को पाकिस्तान से संबद्ध एक जासूसी गिरोह का भंडाफोड़ कर भारतीय नौसेना के सात अधिकारियों और एक हवाला संचालक को गिरफ्तार किया था।

    मुंबई, करवार और विशाखापत्तनम में नौसेना के इन सात अधिकारियों द्वारा जंगी जहाजों और पनडुब्बियों की गतिविधियों के बारे में पाकिस्तान को जानकारी देने पर भारत की संवेदनशील संपत्तियों के सुरक्षा तंत्र में कमी दिखी थी।

    पाकिस्तान द्वारा संचालित गिरोह का भंडाफोड़ करने वाली खुफिया एजेंसियों ने कहा, “विशाखापत्तनम से तीन, करवार से दो और मुंबई से दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया।”

    एजेंसियों ने कहा था कि चीन और पाकिस्तान से लगने वाली समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पूर्वी और पश्चिमी दोनों नौसैन्य कमांड केंद्र जासूसों को पता चल गए थे।

    एजेंसियों ने कहा, “कुछ और संदिग्धों से पूछताछ चल रही है।”

    एजेंसियों ने कहा कि भारतीय नौसेना के पूर्वी कमान के मुख्यालय और परमाणु पनडुब्बी अरिहंत के ठिकाने विशाखापत्तनम की जानकारी जासूसी गिरोह को मिल गई थी। बयान के अनुसार, पूर्वी कमान भारतीय जल सीमा में चीनी जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।

    मुंबई स्थित पश्चिमी नौसैन्य कमान का मुख्यालय का खुलासा भी जासूसी गिरोह के सामने हो गया। पाकिस्तान यहां से अपनी सभी कुटिल गतिविधियों को अंजाम देता है। इसके अलावा सेना के एकलौते विमान वाहक पोत विक्रमादित्य के ठिकाने कारवार का भी खुलासा हो गया।

    भारतीय नौसेना ने हालांकि कहा कि उसकी सभी संपत्तियां सुरक्षित हैं और उन्हें कोई खतरा नहीं है।

    इससे पहले नौसेना ने कहा, “नौसेना की खुफिया एजेंसियों तथा केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने संयुक्त अभियान के तहत नौसेना के कुछ जूनियर अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।”

    आरोपियों को 20 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने के बाद तीन जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

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