हरियाणा में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के बागी विधायक रामकुमार गौतम ने शुक्रवार को अपना सख्त रुख कायम रखते हुए कहा कि उनके फैसले पर पुनर्विचार करने या पार्टी नेतृत्व से मिलने का कोई सवाल ही नहीं है। इससे पहले हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि उन्हें गौतम का इस्तीफा नहीं मिला है।
गौतम भाजपा के पूर्व विधायक हैं, जिन्होंने महज दो महीने पुरानी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के सामने चुनौती पेश कर दी है।
रामकुमार गौतम ने मीडिया से कहा, “जो कुछ भी मुझे कहना है, मैंने कह दिया है। अब मेरे फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई सवाल ही नहीं है।”
गौतम ने दुष्यंत के नेतृत्व वाली जजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है और साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि उन्होंने केवल पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, मगर पार्टी की सदस्यता नहीं छोड़ी है।
सुलह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “पार्टी नेतृत्व से मिलने का कोई सवाल ही नहीं है। मैंने उस पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है।”
सरकार की कार्यप्रणाली से परेशान होकर उन्होंने बुधवार को कहा था कि गठबंधन ने गुरुग्राम के एक मॉल में गुप्त रूप से बैठक की। गौतम ने अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दिया कि दुष्यंत को छोड़कर किसी भी विधायक को इसके बारे में जानकारी नहीं थी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दुष्यंत ने कहा था कि उन्हें कोई इस्तीफा नहीं मिला है।
दुष्यंत ने यहां मीडिया से कहा, “मैंने भी वह वीडियो देखा है। गौतम जजपा के सबसे वरिष्ठ नेता हैं। अगर उन्हें कोई शिकायत है तो वह इसे पार्टी के अंदर उठा सकते हैं। उनका इस्तीफा पार्टी कार्यालय में नहीं पहुंचा है।”
उन्होंने कहा, “अगर हमें उनका इस्तीफा मिल जाता है, तो पार्टी के वरिष्ठ नेता उनसे मिलेंगे और इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। वह हमारे वरिष्ठ हैं और हम उनके किसी बात का बुरा नहीं मानते हैं।”
गौतम (73) ने हिसार जिले के नारनौंद निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु को 12,029 मतों के अंतर से हराया है।
गौतम ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दुष्यंत को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह नौ विधायकों के समर्थन से उपमुख्यमंत्री बने हैं। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वह भाजपा-जजपा सरकार के गठन के खिलाफ नहीं हैं।
सूत्रों ने बताया कि गौतम नवंबर में मनोहर लाल खट्टर के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट में शामिल होने वाले नेताओं में सबसे आगे थे।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया, “कैप्टन अभिमन्यु के प्रभाव के कारण गौतम को नई सरकार के गठन में जानबूझकर दरकिनार कर दिया गया, जो नहीं चाहते थे कि उनके निर्वाचन क्षेत्र से कोई भी सरकार में आए।”