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    अफगानिस्तान

    भारतअफगानिस्तान के बीच में विदेशी व व्यापारिक संबंध काफी मजबूत है। दोनों ही देशों के बीच में पिछले कई सालों से मधुर संबंध बने हुए है। भारत के साथ मधुर संबंधों की तारीफ अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने भी की है। दरअसल जयपुर लिटरेचल फेस्टिवल में शिरकत करने पहुंचे हामिद करजई ने विभिन्न मुद्दो पर चर्चा की।

    हामिद करजई ने भारत की तारीफ करते हुए इसे सहनशील व शांतिप्रिय देश बताया है। शुक्रवार को ‘द ग्रेट सरवाइवर’ नामक सत्र को संबोधित करते हुए हामिद ने भारतीय संस्कृति की तारीफों के पुल बांधे। अफगानिस्तान के पुनःनिर्माण में भारत ने अहम भूमिका निभाई है। भारत पहलीकाफी मात्रा में अफगानिस्तान में निवेश कर रहा है।

    जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हामिद करजई ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अपने अनुभवों को दर्शकों के साथ साझा किया। हामिद ने कहा कि जब मैं पहली बार भारत में साल 1976 मे आया था तो काबुल के मुकाबले दिल्ली काफी रूढिवादी लगा।

    छात्र जीवन की बात करते हुए हामिद ने कहा कि वो मैं एम्स मे पढ़ वाले अपने चचेरे भाई के साथ उस समय रहा था। तब उसमे मुझे कनोट पैलेस घुमाया तो वहां पर काफी गर्मी थी। लेकिन काबुल में इतनी गर्मी न होकर ठंड रहती है। आग कहा कि  बाद में ठंडी जगह पर जाने के लिए शिमला को चुना और वहां पर 6 सालों तक पढ़ाई की थी।

    हामिद करजई ने कहा कि पाकिस्तान के लोग भी भारत की तरह ही प्यारे है लेकिन वहां की सेना व खुफिआ एजेंसिया समस्याग्रस्त बनी हुई है। हामिद करजई ने सत्र के दौरान ज्यादातर चर्चा अफगानिस्तान में तालिबानी शासन व उसके खिलाफ लड़ाई के बारे में की।

    हामिद ने कहा कि तालिबान के साथ युद्ध की वजह से अफगानिस्तान तबाह हो चुका था लेकिन भारत ने अफगानिस्तान के विकास में काफी योगदान दिया है।