राजपूत समुदाय के सदस्यों द्वारा संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित फिल्म, पद्मावत के रिलीज़ पर प्रतिबंध लगाने के लिए हो रहे प्रदर्शन के बीच राजनीतिक नेताओं ने भी इस फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है। इस प्रदर्शन में नए शामिल होने वालों में गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और कांग्रेस के नवीनतम विधायक अल्पेश ठाकुर हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी को लिखे गए एक खुले पत्र में हार्दिक ने भाजपा सरकार को फिल्म की रिलीज़ के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।
राजपूत समुदाय के सम्मान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने देश की एकता के लिए कई बलिदान दिए हैं। उन्होंने लिखा, “हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन क्षत्रिय समुदाय (राजपूत) ने आँखें मूंदकर भारत माता के चरणों में उनके शाही राज्यों को पेश किया ताकि इस देश की एकता और ताकत सुनिश्चित कर सकें। इसलिए ये हम सभी का कर्त्तव्य बनता है कि ये कोशिश की जाये कि इस राजपूत समुदाय का मान एक फिल्म के कारण ना कम हो जाये। यदि गुजरात में पद्मावत रिलीज़ होती है तो क़ानून व्यवस्था की पूर्ण ज़िम्मेदारी सरकार की होगी। किसी भी स्थिति में इस फिल्म को गुजरात में नही रिलीज़ होने दिया जाना चाहिए।”
कांग्रेस के नवनियुक्त विधायक, अल्पेश ठाकुर ने कहा, “क्षत्रिय समाज के मान को इस फिल्म द्वारा क्षति पहुंचाई जा रही है और हम इसका पूर्णतः विरोध करते हैं। जब मुख्यमंत्री ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है तो फिर राज्य की पुलिस ने सिनेमाघरों में सुरक्षा प्रदान करने की पेशकश आखिर की ही क्यों है। यह बात पूरी तरह राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के बीच का बिगड़े हुए संतुलन को बयाँ करती है और उनके बीच के समन्वय पर अनेकों सवाल खड़े कर देती है।”
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघानी ने भी पद्मावत की जांच नहीं करने का निर्णय करने वाले सिनेमाघर के मालिकों के पक्ष में अपनी राय व्यक्त की है। वाघानी ने कहा, “सिनेमाघरों के मालिक सरकार का समर्थन कर रहे हैं और लोगों की भावनाओं के अनुरूप ही हैं।”
इस बीच, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि गुजरात के ज्यादातर सिनेमाघरों के मालिकों ने स्वेच्छा से फिल्म को न प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “सिनेमाघर के मालिकों ने स्वयं फिल्म को न दिखाने का निर्णय लिया है। सरकार अनुशासन बनाये रखने की पूरी कोशिश कर रही है।”