नए नियुक्त हुए चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने एनडीटीवी के संवाददाताओं से मुखातिब होते हुए आज आम आदमी पार्टी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि, चुनाव आयोग हमेशा से ही “तटस्थ और निष्पक्ष” रहा है। अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली ‘आप’ ने चुनाव आयोग पर निष्पक्ष फैसला न लेने का आरोप लगाया था, जब चुनाव आयोग के कहने पर उनके 20 विधायकों को ‘लाभ के पद’ मामले में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा, “कुछ लोगों का अपना एक नज़रिया होता है और उसी को आधार बनाकर वे दूसरों पर विभिन्न आरोप लगाते हैं।” इसी दौरान चुनाव आयुक्त ने कई दूसरे मुद्दों पर बात की जिसमे समकालिक चुनाव और अपराधियों को राजनीति से अलग रखने की आवश्यकता जैसे मुद्दे शामिल रहे। उन्होंने चेन्नई के आरके नगर के उस विवादस्पद चुनाव के बारे में भी बात की जिसमे पैसे की ताकत का प्रभाव एक बड़े पैमाने पर सामने आया।
उन्होंने कहा, “हर हितधारक को चारों ओर की जानकारी प्राप्त नही हो पाती है तो जो भी अधूरी जानकारी उन्हें मिलती है, उसके अनुसार वे एक धारणा बना लेते हैं जिसकी वजह से वह यह सोचने लगते हैं कि उनके साथ पक्षपात किया जा रहा है ।”
उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि जैसे ही चुनाव आयोग की नज़र में तथ्य लाये जाते हैं, तो वह तुरंत ही “सुधारात्मक उपाय” लेती है। यदि आप की शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है तो इसका सीधा मतलब है कि किसी भी प्रकार की कार्यवाही की आवश्यकता ही नहीं थी।
लम्बे समय से आप के विधायकों के खिलाफ शिकायत अटकी हुई थी जिसमे यह दावा किया गया था कि सचिव का पद लेकर वे ‘लाभ के पद’ मामले के तहत दोषी हो गए हैं। इस मामले का फैसला पिछले सप्ताह ही चुनाव आयोग ने किया था और आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी ने ये आरोप लगाया था कि उनके विधायकों की कोई भी दलील सुनी नहीं गयी थी लेकिन आयोग ने कहा था कि मौका दिए जाने पर विधायकों ने वही बिंदु पेश किये थी जो वे पहले भी कह चुके थे।
पिछले वर्ष चुनाव आयुक्त, रावत ने स्वयं को इस मामले से दूर कर लिया था क्योंकि आम आदमी पार्टी ने ये आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान के करीबी होने के कारण वे निष्पक्ष निर्णय नहीं करेंगे, लेकिन सितम्बर में उन्होंने दोबारा इस मामले से खुद को जोड़ लिया जब आप नेताओं ने ये कहा कि तीन में से केवल दो आयुक्त द्वारा दिया गया फैसला मान्य नहीं होगा।
2019 में समकालिक चुनाव की परिस्थिति पर उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने की आवश्यकता होगी। इसके लिए संविधान, लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम और अन्य कानूनों में संशोधन की भी आवश्यकता होगी। “वह ढांचा तैयार हो जाने पर सैन्य मुद्दों को बहुत जल्दी निपटाया जा सकता है,” उन्होंने कहा।
इसके अलावा उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा अपराधियों को राजनीति से दूर रखने की गुज़ारिश का समर्थन करते हुए कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट में दायर सार्वजनिक हित याचिका से सहमत हैं।” मौजूदा कानून के अनुसार सजा काटने के 6 साल तक ही चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध है उसके बाद वह इंसान चुनाव लड़ सकता है।