संजय लीला भंसाली की विवादस्पद पीरियड ड्रामा ‘पद्मावत’ के खिलाफ रविवार को भी गुजरात में हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी रहा जिसमे आंदोलनकर्ताओं ने बसों को नुकसान पहुँचाने के साथ ही सड़कों को भी अवरुद्ध कर दिया। ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय ने 18 जनवरी को भाजपा शासित राज्यों, गुजरात और राजस्थान द्वारा लगाया हुआ प्रतिबन्ध हटाने का निर्देश देकर कहा था कि पद्मावत 25 जनवरी को देशभर में एक साथ प्रदर्शित की जाएगी। न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए राजस्थान और गुजरात सरकारों द्वारा जारी किये गए आदेशों और अधिसूचनाओं पर रोक लगाई थी, जिसमें पद्मावत की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई थी।
As the release of Sanjay Leela Bhansali's #Padmaavat nears, protests intensify against the period film.
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लगातार बढ़ते प्रदर्शन के बाद गुजरात पुलिस ने सख्त चेतावनी जारी की है और बुरी तरह प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों को बढाया गया है।गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) ने राज्य के उत्तरी हिस्सों में अपनी सेवाएं निलंबित कर दी। जीएसआरटीसी ने राज्य के उत्तरी हिस्सों में अपनी सेवाओं को निलंबित कर दिया, जहां पिछले दो दिनों में हिंसक भीड़ ने आग लगा दी थी या आठ बसें क्षतिग्रस्त कर दी थीं।
दिलचस्प बात यह है कि इन प्रदर्शनों के बीच वरिष्ठ राज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने कहा कि ऐसे विरोध “प्राकृतिक” हैं और सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी वैधिक मत की तलाश कर रही है। उन्होंने कहा, “यदि आप ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत करते हैं और किसी फिल्म में पेश करते हैं, तो यह बहुत स्वाभाविक है कि लोग विरोध करेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज़ पर प्रतिबंध लगाने की हमारी अधिसूचना रोक दी थी, लेकिन राज्य सरकार कानूनी राय ले रही है।”
आंदोलन समूहों ने रविवार को दुपारी अहमदाबाद-खेड़ा राजमार्ग पर एक जीएसआरटीसी बस में आग लगा दी। इसी के साथ राजपूत समुदाय के सदस्यों द्वारा गांधीनगर, खेडा बनसकांथा और सूरत के कुछ स्थानों पर प्रदर्शन किया गया। गांधीनगर के पास यूनवा गांव में किसी अन्य बस में पत्थरों को भी फेंका गया। विरोध प्रदर्शनकारियों ने अहमदाबाद-इंदौर राजमार्ग और बनासकांठा को राजस्थान से जोड़ने वाली सड़क जैसे कई सड़कों को रोक दिया। सूरत में, श्री राजपूत करणी सेना के सदस्यों और कुछ अन्य समूह कटारगम, कपासो और पुणा क्षेत्रों में सड़कों पर उतर आये।
राज्य प्रभारी डीजीपी प्रमोद कुमार ने स्तिथि से निपटने के लिए राज्य रिजर्व पुलिस (एसआरपी) और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को तैनात करने की घोषणा की, क्योंकि विरोध प्रदर्शन काफी हद तक फैल गया है, विशेषकर सूरत में।
“पिछले 48 घंटों के दौरान विरोध प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने आगजनी, संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर और सड़कों को अवरुद्ध करके राज्य में अशांति फैलाकर परेशान करने की कोशिश की है। उत्तर गुजरात में आठ से ज्यादा बसों में या तो आग लग गई हैं या क्षतिग्रस्त हो गई हैं” कुमार ने गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा। उन्होंने कहा, “मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मैंने पुलिस अधिकारियों को अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने को कहा है,” उन्होंने कहा। “विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। हम क़ानून तोड़ने वालों को बिलकुल नही बख्शेंगे। नियमित पुलिस के साथ, हम प्रभावित इलाकों में एसआरपी और आरएएफ तैनात कर चुके हैं,” शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा।
सूरत के पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने बैटन चार्ज भी किया। “कुछ प्रदर्शनकारियों ने आज शहर के विभिन्न इलाकों में सड़कों पर अचानक आकर सड़क पर आने की कोशिश की और सड़कों को रोकने का प्रयास भी किया, जिसके कारण हम लाठी चार्ज करने के लिए मजबूर हो गए। दो जगहों पर तो स्थिति इतनी खराब हो गयी थी कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। हमने 16 लोगों को गिरफ्तार भी किया है, “पुलिस आयुक्त ने कहा।
तो वहीं जीएसआरटीसी सचिव, के डी देसाई ने कहा कि विरोध के कारण जीएसआरटीसी ने मेहसाणा, पाटण, गांधीनगर, साबरकांठा और बनासकांठा जिलों में बस सेवा निलंबित कर दी है। “कल उत्तर गुजरात के कुछ हिस्सों में हुए हमलों के कारण, हमने गांधीनगर, हिम्मतनगर, मेहसाना और बनासकांथा के लिए हमारे कार्यों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। अन्य स्थलों जैसे मध्य और दक्षिण गुजरात में सेवाएं पूर्व की तरह ही चल रही हैं,” उसने कहा।
देसाई ने कहा कि हालांकि उन्होंने आज सुबह गांधीनगर में सेवा शुरू करने की कोशिश की लेकिन कुछ लोगों ने जिले के एक गांव में एक बस को लक्षित किया। जीएसआरटीसी के निर्णय के बाद कई यात्री फंसे रह गए हैं।
जिला पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने क्षेत्र में कम से कम छह बसों की खिड़की के शीशे को भी क्षति पहुंचाई है। प्रदर्शनकारियों ने फिल्म के विरोध में बनासकांथा, मेहसाणा, सुरेंद्रनगर और भुज के कुछ हिस्सों में टायरों को जलाने से सड़कों को रोकने की कोशिश भी की थी।