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    नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर निशाना साधते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन और जुलूसों के माध्यम से इस कानून के खिलाफ जनता का गुस्सा निकल कर सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि लोग इन कानूनों के सख्त खिलाफ हैं और उनका गुस्सा पिछले एक सप्ताह में देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से सामने आ रहा है।

    पवार ने कहा, “ऐसा महसूस किया जा रहा है कि ये कानून देश के सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ सकते हैं, जोकि एक धर्म विशेष को निशाना बनाते हैं। सरकार ने अस्थिरता का माहौल बना दिया है।”

    पवार ने कहा, “इसे देखते हुए ही राकांपा ने संसद में सीएए के खिलाफ मतदान किया। बुद्धिजीवी और साहित्यकार इसका विरोध कर रहे हैं। कम से कम आठ राज्यों ने घोषणा की है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे।”

    उन्होंने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्यों के बीच जानबूझकर दरार पैदा की जा रही है। देश एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। इन सभी के माध्यम से आर्थिक संकट से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है।”

    पवार ने कहा कि केवल तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले लोगों को नागरिकता देने का प्रस्ताव भी संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि अन्य सभी को इसके दायरे से बाहर क्यों रखा गया है।

    राकांपा प्रमुख ने कहा, “श्रीलंका से तमिलों को शामिल क्यों नहीं किया गया? हमारे पास दिल्ली में सरकारी संस्थानों में काम करने वाले इतने नेपाली भी हैं। धार्मिक भेद बनाने से देश के गरीबों को निशाना बनाया जाएगा।”

    देश के कई हिस्सों में हुई हिंसक घटनाओं पर पवार ने लोगों से कानून के दायरे में रहते हुए अपना विरोध व्यक्त करने का आग्रह किया।

    राकांपा नेता ने पुणे में मीडिया को संबोधित किया, जिस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र राज्य के विषय में भी कई अन्य मुद्दों पर बात की।

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