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    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरिया को मानवीय मदद भेजने के लिए तीन सीमाओं को खुला रखने के प्रस्ताव पर रूस और चीन ने वीटो लगा दिया है।

    सीरिया में प्रवेश करने के लिए तुर्की के दो और इराक के एक सीमाद्वार को 10 जनवरी, 2020 को उनके अधिकार समाप्त होने बाद से एक साल तक के लिए खुले रखने के प्रस्ताव पर शेष सभी 13 देशों ने वोट किया।

    इसके विरोध में रूस और चीन ने प्रस्ताव देते हुए सिर्फ तुर्की के द्वारों को छह महीनों के लिए खोलने का प्रस्ताव दिया, जो सिर्फ नौ वोट मिलने के कारण विफल हो गया।

    संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि उत्तर-पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी सीरिया में लोगों की स्थिति भयावह है और अगर सीमा द्वार बंद हो गए तो स्थिति और बुरी हो जाएगी।

    सुरक्षा परिषद के लिए शुक्रवार को इस साल का अंतिम सत्र था। परिषद में अब अवकाश सत्र से पहले पूरा काम बंद कर दिया गया है।

    संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वेसिली नेबेंजा ने कहा कि सीरियाई नेता बशर अल-असद की सरकार का क्षेत्र पर पर्याप्त नियंत्रण है और वहां सहायता लेने के लिए पर्याप्त चौकियां हैं।

    उन्होंने कहा कि चार चौकियों से भेजी गई कुछ सहायता अंत में आतंकवादी संगठनों के हाथ लग जाती है।

    चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जुन ने कहा कि चौकियों की व्यवस्था जिन परिस्थितियों में तैयार की गई थी, वे अब बदल गई हैं और सभी सहयोग कार्यक्रमों को सीरिया की राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए।

    अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि केली क्राफ्ट ने कहा कि रूस और चीन के वोट लापरवाह, गैरजिम्मेदार और क्रूर थे और दमिश्क ने अपने ही नागरिकों को भूखे मारने का फैसला कर लिया है।

    वीटो का समर्थन करने वाले जर्मनी, बेल्जियम और कुवैत ने अंतिम समय तक कोशिश की लेकिन वे असफल रहे।

    रूस-चीन का प्रस्ताव खारिज होने के बाद नेबेंजा ने कहा कि यह समझौते का प्रयास है और ‘आज कोई जीता नहीं और सीरियाई जनता हार गई है।’

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